Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Aug, 2024 04:58 PM
चीन की कंपनियों द्वारा भारत में निवेश की फिर से शुरूआत हो सकती है। खबरों के अनुसार भारत सरकार ने सालों के अंतराल के बाद चीन से आने वाले निवेश के प्रस्तावों को लेकर अपने रुख में बदलाव किया है। सरकार ने हाल ही में कुछ प्रस्तावों को मंजूरी दी है। यह...
बिजनेस डेस्कः चीन की कंपनियों द्वारा भारत में निवेश की फिर से शुरूआत हो सकती है। खबरों के अनुसार भारत सरकार ने सालों के अंतराल के बाद चीन से आने वाले निवेश के प्रस्तावों को लेकर अपने रुख में बदलाव किया है। सरकार ने हाल ही में कुछ प्रस्तावों को मंजूरी दी है। यह मंजूरी इलैक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग सैक्टर के लिए है। इंटर-मिनिस्ट्रियल पैनल ने ऐसे 5-6 प्रस्तावों को मंजूर किया है।
4 साल बाद हुआ रुख में बदलाव
अभी से लगभग 4 साल पहले भारत और चीन के संबंधों में उस समय खटास आ गई थी, जब गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प हुई थी। उसके बाद भारत सरकार ने चीन की कंपनियों पर अपना रुख कड़ा कर लिया था। पहले से मौजूद चीन की कंपनियों की स्क्रूटनी बढ़ा दी गई थी, जबकि निवेश के नए प्रस्तावों को ठंडे बस्ते में डाल दिया गया था। जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद भारत सरकार ने जो कड़ा रवैया अपनाया था, उसमें अब जाकर पहली बार ढील के संकेत मिल रहे हैं।
इन प्रमुख प्रस्तावों को मिली हरी झंडी
रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने जिन निवेश प्रस्तावों को मंजूरी दी है, उनमें चाइनीज इलैक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरर लक्सशेयर का नाम शामिल है। लक्सशेयर एप्पल के लिए वैंडर का भी काम करती है। उसके अलावा एक प्रस्ताव माइक्रोमैक्स की पेरैंट कंपनी भगवती प्रोडक्ट्स और चाइनीज कंपनी हुआकिन टैक्नोलॉजीज के बीच जॉइंट वैंचर बनाने का है। जेवी में चीनी कंपनी के पास माइनॉरिटी स्टैक होगा।
इलैक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री का था प्रैशर
भारत सरकार ने जिन अन्य प्रस्तावों को मंजूर किया है, उनमें कुछ ताईवान बेस्ड कंपनियों के हैं, जो या तो हांगकांग शेयर बाजार में लिस्टेड हैं या वहां उनका ठीक-ठाक निवेश है। वहीं कुछ प्रस्ताव पूरी तरह से चाइनीज कंपनियों के हैं।बताया जा रहा है कि सरकार के ऊपर इलैक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग इंडस्ट्री से दबाव था कि चीन के कुछ प्रस्तावों को मंजूरी दी जाए ताकि भारत में सप्लाई चेन को मजबूत बनाया जा सके।