Edited By jyoti choudhary,Updated: 26 Feb, 2025 05:08 PM
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केंद्र सरकार ने अगले चार वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 20% तक हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है। इसके लिए सरकार निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM), सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और वित्तीय सेवाओं के विभाग के साथ चर्चा कर रही...
बिजनेस डेस्कः केंद्र सरकार ने अगले चार वर्षों में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में 20% तक हिस्सेदारी बेचने की योजना बनाई है। इसके लिए सरकार निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM), सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और वित्तीय सेवाओं के विभाग के साथ चर्चा कर रही है।
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के नियमों के तहत सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में अपनी हिस्सेदारी घटाने की रणनीति पर काम कर रही है। इसके लिए बिक्री पेशकश (OFS) और पात्र संस्थागत नियोजन (QIP) दोनों का उपयोग किया जाएगा।
किन बैंकों में हिस्सेदारी घटेगी?
सरकार का लक्ष्य पांच सरकारी बैंकों में अपनी हिस्सेदारी 75% से नीचे लाना है। ये बैंक हैं:
- बैंक ऑफ महाराष्ट्र – वर्तमान हिस्सेदारी 86.46%
- इंडियन ओवरसीज बैंक – वर्तमान हिस्सेदारी 96.38%
- यूको बैंक – वर्तमान हिस्सेदारी 95.39%
- सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया – वर्तमान हिस्सेदारी 93.08%
- पंजाब एंड सिंध बैंक – वर्तमान हिस्सेदारी 98.25%
SEBI के नियम और सरकार की रणनीति
SEBI के नियमानुसार, सभी सूचीबद्ध कंपनियों को कम से कम 25% सार्वजनिक हिस्सेदारी बनाए रखनी होती है। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों को अगस्त 2026 तक इस नियम को लागू करने की विशेष छूट मिली है।
सूत्रों के अनुसार, सरकार का प्राथमिक ध्यान OFS के माध्यम से हिस्सेदारी बेचने पर रहेगा, जिससे वह अतिरिक्त पूंजी जुटा सकेगी।
विशेषज्ञों की राय
केयरऐज रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक संजय अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने बैंकिंग सुधारों के लिए पहले बैंकों में काफी इक्विटी निवेश किया था। अब जब बैंकों की वित्तीय स्थिति मजबूत हुई है, तो सरकार अपनी अतिरिक्त हिस्सेदारी बेचकर 43,000 करोड़ रुपए से अधिक जुटा सकती है। इससे बैंकों को भी व्यापार विस्तार में मदद मिलेगी। सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बेचने को लेकर सरकार की और से कोई जवाब नहीं आया।