Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Dec, 2024 05:12 PM
डिजिटल पेमेंट टूल्स जैसे यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के बढ़ते इस्तेमाल के कारण एटीएम की मांग में कमी आई है। लोग अब रोजमर्रा की खरीदारी से लेकर बड़ी ट्रांजैक्शन तक के लिए यूपीआई का उपयोग कर रहे हैं। देश में एटीएम की संख्या में पांच साल में पहली...
बिजनेस डेस्कः डिजिटल पेमेंट टूल्स जैसे यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) के बढ़ते इस्तेमाल के कारण एटीएम की मांग में कमी आई है। लोग अब रोजमर्रा की खरीदारी से लेकर बड़ी ट्रांजैक्शन तक के लिए यूपीआई का उपयोग कर रहे हैं। देश में एटीएम की संख्या में पांच साल में पहली बार कमी दर्ज की गई है। सरकार ने सोमवार को संसद में बताया कि सितंबर 2024 के अंत तक एटीएम की संख्या घटकर 2,55,078 रह गई, जबकि एक साल पहले यह 2,57,940 थी। इस दौरान 1% से अधिक की गिरावट देखी गई। ग्रामीण क्षेत्रों में यह गिरावट 2.2% तक रही, जहां एटीएम की संख्या घटकर 54,186 हो गई। महानगरों में भी 1.6% की कमी आई और एटीएम की संख्या 67,224 पर आ गई।
ATM की संख्या में कमी के कारण
वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में बताया कि सरकारी बैंकों ने एटीएम बंद करने के लिए कई कारण बताए हैं। इनमें बैंकों का एकीकरण, एटीएम का कम इस्तेमाल, व्यावसायिक लाभ की कमी और एटीएम का स्थानांतरण शामिल हैं। बैंकर्स का कहना है कि डिजिटल भुगतान के बढ़ते चलन और यूपीआई के उभरने से नकदी का उपयोग कम हुआ है, जिससे एटीएम का संचालन अव्यावहारिक हो गया है।
UPI का बढ़ता दबदबा
पिछले नौ वर्षों में डिजिटल भुगतान और वित्तीय समावेशन में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है। जन धन योजना, मोबाइल इंटरनेट और यूपीआई के प्रसार ने इस बदलाव को बढ़ावा दिया है। पिछले पांच वर्षों में यूपीआई लेनदेन में 25 गुना वृद्धि हुई है। वित्त वर्ष 2018-19 में जहां 535 करोड़ यूपीआई लेनदेन हुए, वहीं 2023-24 में यह बढ़कर 13,113 करोड़ हो गए। इस वित्त वर्ष (सितंबर तक) यूपीआई के जरिए 122 लाख करोड़ रुपए के 8,566 करोड़ से अधिक ट्रांजैक्शन दर्ज हुए हैं।
डिजिटल इंडिया की ओर बढ़ता कदम
उपभोक्ता अब सब्जियों से लेकर ऑटो सवारी और महंगी खरीदारी तक के लिए यूपीआई का उपयोग कर रहे हैं। इस डिजिटल क्रांति ने भारत को नकदी से डिजिटल भुगतान की ओर तेजी से बढ़ाया है।