Edited By jyoti choudhary,Updated: 22 Jun, 2024 11:23 AM
GST काउंसिल की आज 8 महीने बाद बैठक होने जा रही है। इस बैठक में इनडायरेक्ट टैक्स से जुड़े कई अहम मामलों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें कर प्रणाली को और मजबूत करके इसे आसान बनाना शामिल है। आपको बता दें कि एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल की यह पहली बैठक है
नई दिल्लीः GST काउंसिल की आज 8 महीने बाद बैठक होने जा रही है। इस बैठक में इनडायरेक्ट टैक्स से जुड़े कई अहम मामलों पर चर्चा की जाएगी, जिसमें कर प्रणाली को और मजबूत करके इसे आसान बनाना शामिल है। आपको बता दें कि एनडीए सरकार के तीसरे कार्यकाल की यह पहली बैठक है। इसलिए इस बैठक में कई अहम फैसले लिए जाने की उम्मीद है। वैसे भी यह बैठक ठीक पूर्ण बजट से पहले हो रही है। इसलिए इस पर सभी की नजर है। आइए जानते हैं कि आज किन 5 अहम मुद्दों पर फैसला लिया जा सकता है।
GST के दायरे में बदलाव
काउंसिल की बैठक में केंद्रीय, राज्य और एकीकृत जीएसटी कानूनों में विधायी संशोधनों को मंजूरी मिलने की उम्मीद है, ताकि शराब के मुख्य घटक एक्स्ट्रा-न्यूट्रल अल्कोहल (ईएनए) को जीएसटी के दायरे से बाहर रखा जा सके, ताकि यह राज्य-स्तरीय उत्पाद शुल्क और मूल्य वर्धित कर (वैट) के दायरे में रहे।
ऑनलाइन गेमिंग पर टैक्सेशन
ऑनलाइन गेमिंग पर टैक्सेशन और संबंधित पक्ष सेवाओं पर कंपनी गारंटी के अलावा दूरसंचार कंपनियों के भुगतान की गई स्पेक्ट्रम फीस पर कर लगाने के मुद्दे पर जीएसटी काउंसिल की बैठक में चर्चा होने की उम्मीद है। इसके अलावा काउंसिल फर्टिलाइजर को जीएसटी के दायरे से बाहर रखने का फैसला कर सकती है। इससे इनवर्टेड ड्यूटी स्ट्रक्चर की कम या सही किया जा सकेगा। संभव है कि जीएसटी के दायरे में पेट्रोलियम उत्पाद को लाने पर भी चर्चा हो सकती है।
शुल्क राहत
केंद्र और राज्य के वित्त मंत्रियों से जीएसटी कानूनों में एक नया प्रावधान जोड़ने की उम्मीद है, जिससे कर अधिकारी कुछ मामलों में बिना किसी अतिरिक्त मांग, वसूली या रिफंड के "जैसा है वैसा" आधार पर खातों को बंद कर सकेंगे। इससे कुछ मामलों में मुकदमेबाजी और विवादों को समाप्त करने में मदद मिलेगी, खासकर शराब उद्योग में। अगर मंजूरी मिल जाती है, तो ये प्रस्ताव अगले महीने संसद में पेश किए जाने वाले वित्त विधेयक का हिस्सा बन जाएंगे।
इज ऑफ डूइंग बिजनेस
इज ऑफ डूइंग बिजनेस में आसानी को बेहतर बनाने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, जिसमें प्रशासनिक निर्णयों को चुनौती देने के लिए करदाताओं द्वारा जीएसटी अपीलीय न्यायाधिकरण में जमा की जाने वाली राशि में संभावित कमी शामिल है। प्रस्ताव है कि जमा की जाने वाली राशि को कर मांग के 10% से कम किया जाए, जो वर्तमान में कानून में निर्दिष्ट है। बैठक में कॉर्पोरेट गारंटी के कराधान और अदालती मामलों से उत्पन्न होने वाले अन्य मुद्दों पर और स्पष्टीकरण की भी उम्मीद है।
GST पंजीकरण प्रणाली को मजबूत करना
काउंसिल टैक्स चोरी के मामलों का पता लगाने और जीएसटी पंजीकरण को और अधिक सुरक्षित बनाने के लिए विभिन्न केंद्रीय और राज्य एजेंसियों से डेटा के मिलान की संभावना तलाश रही है। जीएसटी पंजीकरण चाहने वाले व्यक्ति के सत्यापन को मजबूत करने से कर क्रेडिट के दुरुपयोग से संबंधित उल्लंघनों के मामलों से बचने की संभावना है। इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए प्रौद्योगिकी और डेटा एनालिटिक्स का लाभ उठाने से अब तक अधिकारियों को कर चोरी को काफी हद तक रोकने में मदद मिली है।