Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Dec, 2024 01:51 PM
हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024 के दौरान कुल 1.2 लाख करोड़ रुपए के रजिस्टर्ड और आउटस्टेंडिंग दावों में से केवल 71.3% का भुगतान किया। बीमा रेगुलेटर इरडा के आंकड़ों के मुताबिक, बीमा कंपनियों ने वर्ष भर में 1.1 लाख करोड़ रुपए के लिए 3...
बिजनेस डेस्कः हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने वित्त वर्ष 2024 के दौरान कुल 1.2 लाख करोड़ रुपए के रजिस्टर्ड और आउटस्टेंडिंग दावों में से केवल 71.3% का भुगतान किया। बीमा रेगुलेटर इरडा के आंकड़ों के मुताबिक, बीमा कंपनियों ने वर्ष भर में 1.1 लाख करोड़ रुपए के लिए 3 करोड़ से अधिक दावे रजिस्टर्ड किए। इसके अतिरिक्त, पिछले वर्षों से 6,290 करोड़ रुपए के 17.9 लाख दावे लंबित थे। इन दावों में से, बीमा कंपनियों ने 2.7 करोड़ दावों का भुगतान किया, जिसकी कुल राशि 83,493 करोड़ रुपए थी। यह संख्या रिपोर्ट किए गए दावों के 82% और उनके मूल्य के हिसाब से 71.3% है।
दूसरी ओर जिन दावों का भुगतान नहीं किया गया, उनमें से 15,100 करोड़ रुपए के दावों को पॉलिसी अनुबंध की शर्तों और नियमों के आधार पर नामंजूर कर दिया गया। ये दावे रिकॉर्ड में नहीं दिखाई देते हैं और इन्हें प्रजेंट करने पर विचार नहीं किया जाता क्योंकि बीमा कंपनियों को लगता है कि इन दावों ने पॉलिसी के विशिष्ट मानदंडों को पूरा नहीं किया है।
कितने दावे खारिज
इसी तरह 10,937 करोड़ रुपए के 36 लाख अन्य दावों को बीमा कंपनियों ने डिसअलॉउ या खारिज कर दिया। 7,584 करोड़ रुपए (6.4%) के शेष 20 लाख दावे इंश्योरेंस कंपनियों के पास अब भी लंबित हैं। डिसअलाउ दावे वे हैं जिन्हें रजिस्टर्ड ही नहीं किया है। खारिज दावे वे हैं जिन्हें दस्तावेजों की जांच के बाद खारिज कर दिया गया है। भुगतान किए गए 83,493 करोड़ रुपए के दावों के मुकाबले बीमा कंपनियों ने हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम के जरिए 1.1 लाख करोड़ रुपए एकत्र किए। इनमें से सरकारी इंश्योरेंस कंपनियों ने सबसे ज्यादा 40,993 करोड़ रुपए कलेक्ट किए। निजी बीमा कंपनियों ने 34,503 करोड़ और स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों ने 32,180 करोड़ रुपए कलेक्ट किए।
हेल्थ के मामले में सरकारी जनरल इंश्योरेंस कंपनियों के लिए दावों का अनुपात सबसे अधिक 103% था। हालांकि इन कंपनियों ने पर्सनल पॉलिसीज के तहत दावों के रूप में भुगतान की तुलना में प्रीमियम के रूप में अधिक राशि (95.7% दावा अनुपात) एकत्र की। यह अनुपात घाटे में चल रहे सरकारी और ग्रुप हेल्थ बिजनेस के कारण विषम था, जिनके दावों का अनुपात क्रमशः 114.8% और 103.1% था।
इंश्योरेंस कंपनियों का घाटा
सरकारी बिजनेस में प्राइवेट इंश्योरेंस कंपनियों का घाटा मार्जिन अधिक था। इसमें दावों का अनुपात 121% था। हालांकि उनका ओवरऑल बिजनेस प्रॉफिटेबल था जिसमें दावों का अनुपात 88.7% था। इसकी वजह यह रही कि व्यक्तिगत (81.2%) और समूह बीमा (90.8%) में दावे कम थे। स्टैंडअलोन हेल्थ इंश्योरेंस कंपनियों का हेल्थ इंश्योरेंस बिजनेस सबसे अधिक लाभदायक रहा, जिसका दावा अनुपात 64.7% रहा, जिसमें समूह में 66.5% और व्यक्तिगत में 64% रहा। संयोग से, तीन पीएसयू बीमा कंपनियां वैधानिक पूंजी के बिना अपने कारोबार को बढ़ा रही हैं। इरडा के अनुसार नेशनल, ओरिएंटल और यूनाइटेड ने 31 मार्च, 2024 तक क्रमशः -0.45, -1.06 और -0.59 गुना का सॉल्वेंसी अनुपात दर्ज किया है।
इस बीच बीमा लोकपाल के कार्यालय को वर्ष के दौरान स्वास्थ्य बीमा के तहत 34,336 शिकायतें मिलीं। इसके अलावा वर्ष की शुरुआत में 2,846 शिकायतें लंबित थीं। इनमें से 6,235 शिकायतों का फैसला पॉलिसीधारक के पक्ष में किया गया। सबसे ज्यादा शिकायतें मुंबई, पुणे, अहमदाबाद और चंडीगढ़ से मिलीं।