Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Feb, 2025 11:33 AM
वित्त वर्ष 2025-26 के बजट के बाद अब सभी की निगाहें रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक पर टिकी हैं, जो 5-7 फरवरी के बीच होगी। इस बैठक में रिजर्व बैंक रेपो रेट में बदलाव का फैसला ले सकता है, जिससे आपकी लोन की EMI पर सीधा असर पड़ेगा।...
बिजनेस डेस्कः वित्त वर्ष 2025-26 के बजट के बाद अब सभी की निगाहें रिजर्व बैंक की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की बैठक पर टिकी हैं, जो 5-7 फरवरी के बीच होगी। इस बैठक में रिजर्व बैंक रेपो रेट में बदलाव का फैसला ले सकता है, जिससे आपकी लोन की EMI पर सीधा असर पड़ेगा। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई दर में गिरावट और खपत बढ़ाने के लिए RBI ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। यदि ऐसा होता है तो होम, ऑटो और पर्सनल लोन पर EMI कम हो सकती है, जिससे आम लोगों को बड़ी राहत मिलेगी।
इनकम टैक्स में राहत से खपत को मिलेगी रफ्तार
बजट में इनकम टैक्स में बड़ी राहत दी गई है, जहां सालाना 12 लाख रुपए तक की आय को टैक्स-फ्री कर दिया गया है, जो पहले नई टैक्स रिजीम में 7 लाख रुपए तक थी। विशेषज्ञों का मानना है कि इससे मध्यम और उच्च-मध्यम वर्ग के लोगों के विवेकाधीन खर्च में इजाफा होगा, जिससे घरेलू मांग को मजबूती मिलेगी।
सरकार को RBI और बैंकों से मिलेगा बड़ा डिविडेंड
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार, सरकार को इस साल रिजर्व बैंक और सरकारी बैंकों से 2.56 लाख करोड़ रुपए तक का डिविडेंड मिलने की उम्मीद है, जो पिछले साल के 2.30 लाख करोड़ रुपए से अधिक है। रुपए की गिरावट और विदेशी मुद्रा परिसंपत्तियों से कमाई में वृद्धि इस बढ़ोतरी के प्रमुख कारण माने जा रहे हैं।
महंगाई 4% तक घटने की उम्मीद, ब्याज दरों में कटौती की संभावना प्रबल
विशेषज्ञों का अनुमान है कि खुदरा महंगाई दर इस साल घटकर 4% के आसपास रह सकती है। नए गवर्नर संजय मल्होत्रा का रुख आर्थिक विकास को समर्थन देने वाला माना जा रहा है, जिससे रेपो रेट में कटौती की संभावना और प्रबल हो गई है।
रेपो रेट में 1% तक कटौती संभव
बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज और एलारा सिक्योरिटीज के अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि फरवरी में रिजर्व बैंक रेपो रेट को 0.25% घटाकर 6.25% कर सकता है। साल के अंत तक इसे और 0.75% घटाकर 5.50% तक लाया जा सकता है। इसके अलावा कैश रिजर्व रेश्यो (CRR) में भी 0.50% तक कटौती की जा सकती है या खुले बाजार से बॉन्ड खरीदकर बैंकिंग सिस्टम में नकदी बढ़ाने के प्रयास किए जा सकते हैं। यदि ये कदम उठाए गए तो आम लोगों के लिए लोन की EMI सस्ती हो सकती है, जिससे खर्च और निवेश दोनों में तेजी आ सकती है।