Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Jan, 2025 02:21 PM
इस साल 2025 में भारतीय आईपीओ मार्केट में भारी हलचल देखने को मिल सकती है और एक नया रिकॉर्ड बन सकता है। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार, 1.80 लाख करोड़ रुपए के आईपीओ को SEBI की मंजूरी मिल चुकी है या फिर मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से 28...
बिजनेस डेस्कः इस साल 2025 में भारतीय आईपीओ मार्केट में भारी हलचल देखने को मिल सकती है और एक नया रिकॉर्ड बन सकता है। प्राइम डेटाबेस के आंकड़ों के अनुसार, 1.80 लाख करोड़ रुपए के आईपीओ को SEBI की मंजूरी मिल चुकी है या फिर मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। इनमें से 28 कंपनियों के 46 हजार करोड़ रुपए के इश्यू को मंजूरी मिल चुकी है और ये कंपनियां आईपीओ लाने की तैयारियों में जुटी हैं। वहीं, दूसरी ओर 1.32 लाख करोड़ रुपए के आईपीओ के ड्राफ्ट SEBI के पास मंजूरी के इंतजार में हैं।
पिछले साल 2024 में कैसा रहा IPO मार्केट का हाल
पिछले साल वर्ष 2024 में एसएमई ने रिकॉर्ड 8761 करोड़ रुपए जुटाए जोकि वर्ष 2023 के मुकाबले 87 फीसदी अधिक रहा। प्राइम डेटाबेस के मुताबिक एसएमआई आईपीओ का औसतन साइज भी चार साल में 6 गुना बढ़कर 36 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। खुदरा निवेशकों ने इसमें खूब पैसे लगाए और औसतन रिटेल एप्लीकेशन वर्ष 2020 में महज 297 से बढ़कर वर्ष 2024 में 1.88 लाख पर पहुंच गया।
वहीं मेनबार्ड यानी बीएसई और एनएसई पर लिस्ट होने वाली कंपनियों की बात करें तो 91 कंपनियों ने 1.60 लाख करोड़ रुपए जुटाए जबकि वर्ष 2023 में 57 कंपनियों ने 49,436 करोड़ रुपए जुटाए थे। मेनबोर्ड आईपीओ के औसतन साइज इस दौरान दोगुना उछलकर 1,756 करोड़ रुपए पर पहुंच गए। ऑफिस (Awfis), फर्स्टक्राई (Firstcry), मोबीक्विक (Mobikwik), स्विगी (Swiggy) और यूनीकॉमर्स (Unicommerce) समेत आठ नए दौर की कंज्यूमर टेक कंपनियों ने 21,438 करोड़ रुपए के आईपीओ लाए। फ्रेश कैपिटल भी 40 फीसदी उछलकर 64,499 करोड़ रुपए पर पहुंच गया। खुदरा निवेशकों की दिलचस्पी तेजी से बढ़ी और 91 में से 66 इश्यू में खुदरा निवेशकों के लिए आरक्षित हिस्सा 10 गुना से अधिक सब्सक्राइब हुआ। आईपीओ को ओवरऑल औसतन 45.39 गुना और रिटेल हिस्से को औसतन 34.15 गुना बोली मिली जो वर्ष 2023 के मुकाबले अधिक रही।
QIP के जरिए भी 2024 में जुटाए थे कंपनियों ने पैसे
पिछले साल कंपनियों ने आईपीओ ही नहीं बल्कि क्यूआईपी (क्वालिफाईड इंस्टीट्यूशनल प्लेसमेंट) के जरिए भी 2023 के मुकाबले तीन गुना अधिक पैसे जुटाए। पिछले साल 99 कंपनियों ने क्यूआईपी के जरिए 1.38 लाख करोड़ रुपए जुटाए थे। सबसे बड़ा क्यूआईपीओ वेदांता और जोमैटो का रहा जिसने ₹8500-₹8500 करोड़ का इश्यू लाया था।