Edited By Rahul Singh,Updated: 28 Jan, 2025 01:06 PM
भारत के निवेश पारिस्थितिकी तंत्र और बाहरी वाणिज्यिक ऋण (ECBs) में पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। वित्त मंत्रालय के नवीनतम अपडेट में बताया गया है कि निवेश की घोषणाओं में वृद्धि हो रही है और निजी क्षेत्र का इसमें अहम योगदान...
बिजनैस डैस्क : भारत के निवेश पारिस्थितिकी तंत्र और बाहरी वाणिज्यिक ऋण (ECBs) में पिछले कुछ वर्षों में महत्वपूर्ण बदलाव देखने को मिले हैं। वित्त मंत्रालय के नवीनतम अपडेट में बताया गया है कि निवेश की घोषणाओं में वृद्धि हो रही है और निजी क्षेत्र का इसमें अहम योगदान है।
FY25 के पहले 9 महीने में निवेश घोषणाएं बढ़ी:
वित्त वर्ष 2025 के पहले नौ महीनों (अप्रैल से दिसंबर 2024) में कुल निवेश घोषणाएँ 32.01 लाख करोड़ रुपये रही। यह पिछले साल की तुलना में 39% अधिक है, क्योंकि FY24 में ये घोषणाएँ 23 लाख करोड़ रुपये थीं। इस वृद्धि से निवेश पर सकारात्मक रुझान दिख रहे हैं।
निजी क्षेत्र का निवेश में बढ़ा योगदान:
निवेश घोषणाओं में निजी क्षेत्र का योगदान बढ़कर 70% तक पहुंच गया है, जबकि FY24 में यह आंकड़ा 56% था। इसका मतलब है कि कॉर्पोरेट क्षेत्र में विश्वास मजबूत हो रहा है और कंपनियाँ ज्यादा निवेश करने के लिए तैयार हैं।
कॉर्पोरेट का ग्रॉस ब्लॉक बढ़ा:
मार्च 2024 तक भारतीय कॉर्पोरेट्स का कुल ग्रॉस ब्लॉक 106.50 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया, जो मार्च 2020 में 73.94 लाख करोड़ रुपये था। पिछले 5 वर्षों में औसतन 8 लाख करोड़ रुपये से अधिक का इजाफा हर साल कॉर्पोरेट ग्रॉस ब्लॉक में हुआ है।
प्रकियाधीन परियोजनाएँ और घरेलू बचत में वृद्धि:
मार्च 2024 तक, भारत में जारी परियोजनाओं का निवेश 13.63 लाख करोड़ रुपये रहा। यह दर्शाता है कि परियोजनाओं पर काम तेज़ी से चल रहा है। साथ ही, FY24 में भारतीय घरों की शुद्ध वित्तीय बचत (HNFS) जीडीपी के 5.3% तक पहुंच गई, जो FY23 में 5.0% थी।
भौतिक संपत्तियों में बचत में वृद्धि:
भौतिक संपत्तियों में निवेश भी बढ़ा है, जो FY23 में जीडीपी के 12.9% था, जो FY24 में बढ़कर 13.5% हो गया। इसका मतलब है कि लोग अधिक संपत्ति में निवेश कर रहे हैं, जो आर्थिक विकास का संकेत है। इस प्रकार, भारत का निवेश पारिस्थितिकी तंत्र मजबूत हो रहा है और निजी क्षेत्र का बढ़ता योगदान देश की आर्थिक स्थिति को बेहतर बना रहा है।