Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Apr, 2024 06:29 PM
प्रतिकूल मौसम के कारण महंगाई बढ़ने का खतरा हो सकता है। साथ ही वैश्विक स्तर पर लंबे समय से जारी तनावपूर्ण स्थिति से कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में अस्थिरता बनी रह सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अप्रैल के बुलेटिन में यह कहा गया है। उपभोक्ता...
बिजनेस डेस्कः प्रतिकूल मौसम के कारण महंगाई बढ़ने का खतरा हो सकता है। साथ ही वैश्विक स्तर पर लंबे समय से जारी तनावपूर्ण स्थिति से कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों में अस्थिरता बनी रह सकती है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अप्रैल के बुलेटिन में यह कहा गया है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति मार्च में घटकर 4.9 प्रतिशत हो गई। इससे पहले पिछले दो महीनों में यह औसतन 5.1 प्रतिशत रही थी।
रिजर्व बैंक अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति पर पहुंचते समय मुख्य रूप से खुदरा महंगाई को ध्यान में रखता है। केंद्रीय बैंक ने मुद्रास्फीति के मोर्चे पर चिंताओं का हवाला देते हुए फरवरी, 2023 से प्रमुख नीतिगत दर रेपो को 6.5 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है।
बुलेटिन में पब्लिश आर्टिकल ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति’ में कहा गया कि 2024 की पहली तिमाही में वैश्विक वृद्धि की गति बरकरार रही है और विश्व व्यापार का आउटलुक पॉजिटिव हो रहा है। बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में बॉन्ड प्रतिफल और कर्ज की ब्याज दर बढ़ रही है। ब्याज दर में कमी को लेकर जो संभावनाएं थी, वह कमजोर पड़ी हैं।
लेख में कहा गया, “मजबूत निवेश मांग और उत्साहित व्यापार और उपभोक्ता धारणाओं के साथ भारत में वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) की वृद्धि दर में तेजी के लिए परिस्थितियां अनुकूल हो रही हैं।’’ हालांकि, आरबीआई ने कहा कि बुलेटिन में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और भारतीय रिजर्व बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं।