Edited By jyoti choudhary,Updated: 11 Jan, 2025 04:02 PM
अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने चेतावनी दी है कि 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था थोड़ी कमजोर रही सकती है लेकिन वैश्विक आर्थिक विकास की गति स्थिर बनी रह सकती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर...
बिजनेस डेस्कः अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की प्रमुख क्रिस्टालिना जॉर्जीवा (Kristalina Georgieva) ने चेतावनी दी है कि 2025 में भारतीय अर्थव्यवस्था थोड़ी कमजोर रही सकती है लेकिन वैश्विक आर्थिक विकास की गति स्थिर बनी रह सकती है। उन्होंने कहा कि वैश्विक स्तर पर करेंसी में कटौती का दौर जारी रहेगा। जॉर्जीवा ने यह टिप्पणी शुक्रवार को एक प्रेस वार्ता के दौरान की। यह बयान ऐसे समय में आया है जब 17 जनवरी को IMF वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक जारी करने वाला है और इसके अगले दिन अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पदभार ग्रहण करेंगे।
क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने कहा कि यूएस इकोनॉमी आशा से भी अच्छा कर रही है। इसके बावजूद प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप की ट्रेड पॉलिसी को लेकर काफी अनिश्चितता बनी हुई है। इस कारण लॉन्ग टर्म इंट्रेस्ट रेट के काफी अधिक होने के कारण पैदा हुई चुनौतियां और भी अधिक बढ़ गई हैं। महंगाई यूएस फेडरल रिजर्व के टारगेट के लगभग पास है। लेबर मार्केट भी स्थिर है।
ब्याज दरें लगभग स्थिर बनी रहेंगी
आईएमएफ चीफ ने कहा कि यूएस फेड रिजर्व को आगे ब्याज दरों में कटौती के लिए कुछ और डाटा का इंतजार करना पड़ेगा। कुल मिलाकर ब्याज दरें कुछ समय के लिए अधिक होने के बावजूद लगभग स्थिर बनी रहेंगी। यह बयान एक तरह से ग्लोबल डेवलपमेंट के बारे में आईएमएफ के आगे आने वाले अनुमान का संकेत है। परंतु उन्होंने इसके बारे में डिटेल बताने से इनकार किया। 2024 के अक्टूबर में आईएमएफ ने यूएस, ब्राजील और ब्रिटेन के विकास के अनुमान बढ़ाए थे। वहीं चीन, जापान और यूरो जोन के विकास दरों के अनुमान में कटौती की थी। इसका कारण कई देशों के बीच हो रहे युद्ध, टाइट मॉनीटरी पॉलिसी और नए ट्रेड वार के कारण पैदा हो रहे जोखिम को बताया था।
जुलाई में ग्लोबल ग्रोथ फोरकास्ट 3.2% था
2024 के जुलाई में आईएमएफ की ओर से 2025 के लिए जारी ग्लोबल ग्रोथ फोरकास्ट 3.2 फीसदी से कम रखा गया था। वहीं 2024 के लिए 3.2 फीसदी ही रखा गया था। हालांकि आईएमएफ ने यह चेतावनी भी दी थी कि मिड टर्म ग्लोबल ग्रोथ पांच साल में 3.1 फीसदी के आस-पास रहेगा, जो कोरोना से पहले के ट्रेंड से भी नीचे है।