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IT Stocks Down: भारतीय IT कंपनियों पर अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सुस्ती का असर, निवेशकों में चिंता

Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Feb, 2025 03:37 PM

impact of us economic slowdown on indian it companies investors worried

इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) सेक्टर की कंपनियों में आज, 24 फरवरी को तेज गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में संभावित मंदी की चिंताओं के कारण निवेशकों ने आईटी शेयरों में जमकर बिकवाली की। चूंकि भारत की अधिकांश आईटी कंपनियां अपने सर्विस...

बिजनेस डेस्कः इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (IT) सेक्टर की कंपनियों में आज, 24 फरवरी को तेज गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी अर्थव्यवस्था में संभावित मंदी की चिंताओं के कारण निवेशकों ने आईटी शेयरों में जमकर बिकवाली की। चूंकि भारत की अधिकांश आईटी कंपनियां अपने सर्विस एक्सपोर्ट्स के लिए अमेरिका पर निर्भर हैं, इसलिए वहां की आर्थिक सुस्ती का सीधा असर इन पर देखने को मिला।

सुबह 10:45 बजे के करीब, निफ्टी आईटी इंडेक्स 2.5% तक गिर चुका था, जो सभी सेक्टोरल इंडेक्स में सबसे अधिक गिरावट थी। निफ्टी आईटी इंडेक्स में शामिल सभी 10 कंपनियों के शेयर लाल निशान में कारोबार कर रहे थे। सबसे अधिक गिरावट L&T टेक्नोलॉजी सर्विसेज और परसिस्टेंट सिस्टम्स में देखने को मिली, जिनके शेयर 5.5% तक टूट गए। 

शुक्रवार 21 फरवरी को जारी आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका का कंज्यूमर सेंटीमेंट फरवरी में 15-महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्रस्तावित टैरिफ पॉलिसी के चलते वहां महंगाई दर के लंबे समय तक ऊंचे बनी रहने की उम्मीदें बढ़ गई हैं। इस बीच अमेरिका में बिजनेस गतिविधियों में गिरावट देखी गई है। इन सब फैक्टर्स ने निवेशकों की चिंताओं को बढ़ा दिया है।

अमेरिका का लॉन्ग-टर्म इंफ्लेशन टारगेट अब बढ़कर 3.5 फीसदी हो गया है, जो पहले 3.5 फीसदी था। इसके चलते एक्सपोर्ट्स आधारित आईटी शेयरों में खासतौर से गिरावट देखने को मिली। अमेरिकी इकोनॉमी में सुस्ती के चलते निवेशक अब भारतीय आईटी कंपनियों की ग्रोथ संभावनाओं को लेकर आशंकित हो गए हैं।

इसके अलावा सबसे बड़ी चिंता यह है कि अमेरिकी इकोनॉमी के अब स्टैगफ्लेशन (stagflation) में जाने की आशंका जताई जाने लगी है। अगर ऐसा होता है तो इससे ग्लोबल ग्रोथ पर दबाव पर पड़ सकता है, जो पहले से ही धीमी बनी है। स्टैगफ्लेशन एक ऐसी स्थिति जिसमें आर्थिक ग्रोथ धीमी होती है, लेकिन महंगाई बढ़ती जाती है।

दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी में स्टैगफ्लेशन आने से विदेशी निवेशकों की भारत समेत दूसरे इमर्जिंग मार्केट्स में दिलचस्पी और घट सकती है। वे ऐसी स्थिति में गोल्ड और यूएस ट्रेजरी जैसे निवेश के सुरक्षित विकल्पों की ओर बढ़ सकते हैं। विदेशी निवेशक अब तक शेयर बाजार से 36,977 करोड़ रुपए की बिकवाली कर चुके हैं। हालांकि घरेलू संस्थागत निवेशकों (DIIs) ने इस दौरान 42,601 करोड़ रुपए की खरीदारी की है।  

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