Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Jan, 2025 12:38 PM
विश्व बैंक ने हाल ही में एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था के धीमे वृद्धि की भविष्यवाणी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था युद्ध, व्यापार नीतियों में बदलाव और उच्च ब्याज दरों के बावजूद धीरे-धीरे बढ़ रही है। हालांकि,...
बिजनेस डेस्कः विश्व बैंक ने हाल ही में एक नई रिपोर्ट जारी की है, जिसमें वैश्विक अर्थव्यवस्था के धीमे वृद्धि की भविष्यवाणी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार वैश्विक अर्थव्यवस्था युद्ध, व्यापार नीतियों में बदलाव और उच्च ब्याज दरों के बावजूद धीरे-धीरे बढ़ रही है। हालांकि, यह वृद्धि इतनी तेज नहीं है कि सबसे गरीब देशों को राहत मिल सके। बैंक का अनुमान है कि 2025 और 2026 में वैश्विक अर्थव्यवस्था 2.7 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी, जो 2023 और 2024 के आंकड़ों के समान है।
हालांकि, यह वृद्धि 2010-2019 के औसत से 0.4 प्रतिशत कम है। इसके पीछे पिछले कुछ वर्षों में आए बड़े आर्थिक झटके, जैसे कि कोविड-19 महामारी और रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले का प्रभाव बताया गया है। इसके बावजूद रिपोर्ट में एक सकारात्मक पहलू भी है, क्योंकि पिछले दो वर्षों में वैश्विक मुद्रास्फीति 8 प्रतिशत से ऊपर रही थी, जो अब घटकर 2025 और 2026 में औसतन 2.7 प्रतिशत तक आ सकती है, जो कई केंद्रीय बैंकों के लक्ष्य के करीब है।
विश्व बैंक, जो 189 सदस्य देशों का संगठन है, गरीब देशों को कम ब्याज दरों पर ऋण और अनुदान प्रदान करके उनकी गरीबी कम करने और जीवन स्तर को बेहतर बनाने का काम करता है। विकासशील देशों के लिए रिपोर्ट में 2025 में 4.1 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान जताया गया है, जो 2026 में घटकर 4 प्रतिशत हो सकती है। हालांकि, यह वृद्धि वैश्विक गरीबी को कम करने के लिए पर्याप्त नहीं मानी जा रही है। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि विकासशील देशों में आर्थिक वृद्धि धीमी हो रही है, जो 2000 के दशक में 5.9 प्रतिशत, 2010 के दशक में 5.1 प्रतिशत और अब 2020 के दशक में घटकर 3.5 प्रतिशत रह गई है।
इन देशों की सुस्त अर्थव्यवस्था के कारणों में कम निवेश, उच्च स्तर का कर्ज, जलवायु परिवर्तन से जुड़े बढ़ते खर्च और संरक्षणवादी नीतियों का प्रभाव शामिल है, जो उनके निर्यात को नुकसान पहुंचा रही हैं। इसके अलावा, रिपोर्ट में कहा गया है कि इन समस्याओं का समाधान जल्द ही नहीं दिखाई दे रहा है।
आने वाला समय विकासशील देशों के लिए चुनौतीपूर्ण
विश्व बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री, इंद्रमीत गिल ने कहा कि आने वाला समय विकासशील देशों के लिए पिछले 25 वर्षों से अधिक चुनौतीपूर्ण होगा। दुनिया के सबसे गरीब देशों में, जिनकी प्रति व्यक्ति आय 1,145 डॉलर से कम है, 2024 में केवल 3.6 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान है, जो मुख्य रूप से गाजा और सूडान जैसे देशों में बढ़ते संघर्षों और हिंसा के कारण है।
भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था
अमेरिकी अर्थव्यवस्था के लिए विश्व बैंक ने अपने पूर्वानुमान को सुधारते हुए 2025 में 2.3 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान व्यक्त किया है, जबकि यूरोप में वृद्धि धीमी रहेगी। यूरोजोन देशों के लिए जीडीपी पूर्वानुमान घटाकर 1 प्रतिशत कर दिया गया है। चीन की अर्थव्यवस्था में धीमी वृद्धि का अनुमान है, जहां 2024 में 4.9 प्रतिशत वृद्धि के बाद 2025 और 2026 में यह क्रमशः 4.5 प्रतिशत और 4 प्रतिशत रह सकती है। वहीं, भारत जो अब दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ने वाली बड़ी अर्थव्यवस्था है, 2025 और 2026 में 6.7 प्रतिशत की वृद्धि देख सकता है।
विश्व बैंक का अनुमान है कि वैश्विक व्यापार और बजट नीतियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होगा लेकिन अमेरिका में होने वाले आगामी बदलावों से वैश्विक विकास और मुद्रास्फीति पर असर पड़ सकता है।