Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 May, 2024 04:14 PM
आयकर विभाग ने अचल संपत्ति, प्रतिभूतियों और आभूषण की बिक्री से होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की गणना के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लागत मुद्रास्फीति सूचकांक को अधिसूचित किया है। लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (सीआईआई) का उपयोग करदाताओं द्वारा...
नई दिल्लीः आयकर विभाग ने अचल संपत्ति, प्रतिभूतियों और आभूषण की बिक्री से होने वाले दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की गणना के लिए वित्त वर्ष 2024-25 के लिए लागत मुद्रास्फीति सूचकांक को अधिसूचित किया है। लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (सीआईआई) का उपयोग करदाताओं द्वारा मुद्रास्फीति को समायोजित करने के बाद पूंजीगत संपत्तियों की बिक्री से होने वाले लाभ की गणना करने के लिए किया जाता है।
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) की एक अधिसूचना के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 (आकलन वर्ष 2025-26) के लिए सीआईआई 363 है। पिछले वित्त वर्ष के लिए सीआईआई 348 था और 2022-23 के लिए यह 331 था। मूर सिंघी के कार्यकारी निदेशक रजत मोहन ने कहा कि सीआईआई अर्थव्यवस्था में मुद्रास्फीति को दर्शाता है, जिससे समय के साथ वस्तुओं और सेवाओं की कीमतें बढ़ती हैं। उन्होंने कहा कि करदाता आमतौर पर उच्च सीआईआई को पसंद करते हैं, क्योंकि इससे उन्हें बड़ी कर छूट का दावा करने में मदद मिलती है।