Edited By jyoti choudhary,Updated: 04 Nov, 2024 12:03 PM
भारत ने पिछले पांच सालों में निर्यात क्षेत्र में कमालकर दिखाया है। पिछले पांच वर्षों में भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता ने पेट्रोलियम, रत्न, कृषि रसायन और चीनी जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जैसा कि वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से...
बिजनेस डेस्कः भारत ने पिछले पांच सालों में निर्यात क्षेत्र में कमालकर दिखाया है। पिछले पांच वर्षों में भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धात्मकता ने पेट्रोलियम, रत्न, कृषि रसायन और चीनी जैसे क्षेत्रों में उल्लेखनीय वृद्धि की है, जैसा कि वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों से स्पष्ट होता है। 2018 से 2023 के बीच भारत ने इन क्षेत्रों में वैश्विक व्यापार में अपनी हिस्सेदारी में वृद्धि की है। इसके अतिरिक्त, इलेक्ट्रिकल सामान, न्यूमेटिक टायर, नल और वॉल्व, तथा सेमीकंडक्टर उपकरणों में भी भारतीय निर्यात की हिस्सेदारी बढ़ी है। मंत्रालय के आंकड़ों के विश्लेषण से यह सामने आया है कि 2023 में पेट्रोलियम निर्यात 84.96 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच गया, जिससे भारत की वैश्विक बाजार हिस्सेदारी 2018 में 6.45 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 12.59 प्रतिशत हो गई।
इस श्रेणी में भारत पांचवे स्थान से बढ़कर दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बन गया। कीमती और अर्ध-कीमती पत्थरों के क्षेत्र में वैश्विक निर्यात में देश की हिस्सेदारी 2018 के 16.27 प्रतिशत से बढ़कर 2023 में 36.53 प्रतिशत हो गई है। इस श्रेणी में देश वैश्विक व्यापार में दूसरे स्थान से शीर्ष पर आ गया।
इसी तरह चीनी निर्यात 2018 के 93 करोड़ अमेरिकी डॉलर से बढ़कर 3.72 अरब डॉलर हो गया। इस क्षेत्र में वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी 4.17 प्रतिशत से बढ़कर 12.21 प्रतिशत हो गई। कीटनाशकों और कवकनाशकों के वैश्विक व्यापार में भारत की हिस्सेदारी में भी अच्छी वृद्धि हुई।
अंतरराष्ट्रीय कृषि और पर्यावरण मानकों को पूरा करने की भारत की क्षमता और कृषि रसायनों में नवोन्मेषण पर ध्यान देने की वजह से ऐसा संभव हो पाया। इसके अलावा रबड़ न्यूमेटिक टायर, सेमीकंडक्टर और फोटोसेंसिटिव उपकरणों के वैश्विक व्यापार में भी देश की स्थिति मजबूत हुई है।