Edited By rajesh kumar,Updated: 29 Oct, 2024 02:46 PM
मेक इन इंडिया पहल की वजह से भारत का मोबाइल विनिर्माण उद्योग तेजी से विकास कर रहा है और दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है। सैमसंग और एप्पल जैसी प्रमुख कंपनियां देश में बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियां स्थापित कर रही हैं, जिससे भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे...
नई दिल्ली: मेक इन इंडिया पहल की वजह से भारत का मोबाइल विनिर्माण उद्योग तेजी से विकास कर रहा है और दुनिया का ध्यान आकर्षित कर रहा है। सैमसंग और एप्पल जैसी प्रमुख कंपनियां देश में बड़े पैमाने पर फैक्ट्रियां स्थापित कर रही हैं, जिससे भारत अब दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्यातक बन गया है।
नोएडा में सैमसंग की मेगा फैक्ट्री
सैमसंग ने नोएडा में दुनिया का सबसे बड़ा मोबाइल विनिर्माण संयंत्र खोला है, जिसकी उत्पादन क्षमता 68 मिलियन से बढ़कर 120 मिलियन फोन प्रति वर्ष हो गई है। यह फैक्ट्री "मेक फॉर द वर्ल्ड" रणनीति के तहत काम कर रही है, जो न केवल भारत बल्कि सार्क क्षेत्र और अन्य देशों के लिए भी फोन का निर्माण करती है।
सैमसंग अपने उत्पादों को भारतीय उपभोक्ताओं की आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित कर रहा है, जो स्थानीय शोध और विकास पर ध्यान केंद्रित करके किया जा रहा है। इससे भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा मिल रहा है और स्थानीय उत्पादन को भी समर्थन मिल रहा है।
एप्पल का भारत में उत्पादन: iPhone 16
एप्पल भी अपने उत्पादन को भारत की ओर स्थानांतरित कर रहा है। पहली बार, iPhone 16 सीरीज के प्रीमियम मॉडल, जैसे प्रो और प्रो मैक्स, तमिलनाडु के श्रीपेरंबुदूर में फॉक्सकॉन के माध्यम से असेंबल किए जाएंगे। इसके लिए कई भारतीय श्रमिकों को विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो भारत के लिए एप्पल की आपूर्ति श्रृंखला में बढ़ते महत्व को दर्शाता है।
एप्पल का यह कदम उत्पादन में विविधता लाने की बड़ी योजना का हिस्सा है। वर्तमान में, भारत में 14 बिलियन डॉलर के iPhone का निर्माण हो रहा है, जो एप्पल के वैश्विक उत्पादन का 14 प्रतिशत है। कंपनी भविष्य में AirPods और iPads जैसे अन्य उत्पादों को भी शामिल करने की योजना बना रही है।
वैश्विक मंच पर भारत की स्थिति
भारत के मोबाइल विनिर्माण उद्योग की तेज़ी से वृद्धि मेक इन इंडिया पहल की सफलता को दर्शाती है। सैमसंग और एप्पल जैसी कंपनियाँ न केवल रोजगार सृजित कर रही हैं, बल्कि भारत के तकनीकी कौशल और निर्यात क्षमता में भी सुधार कर रही हैं। अधिक विदेशी निवेश के साथ, भारत अब आयात पर निर्भरता कम कर रहा है और वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की दिशा में बढ़ रहा है। यह परिवर्तन आत्मनिर्भर भारत की भावना को मजबूत करता है और वैश्विक तकनीकी उद्योग में भारत की स्थिति को और अधिक सुदृढ़ बनाता है।