Iran-Israel War में झुलस सकता है भारत, शेयर बाजार से लेकर महंगाई तक ऐसे होगा असर

Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Oct, 2024 05:30 PM

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ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष में मंगलवार को ईरान ने इजराइल पर मिसाइलों से हमला किया, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है। इस संघर्ष का प्रभाव केवल इजराइल, ईरान और लेबनान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे पश्चिमी एशिया (मिडिल ईस्ट) में असर डाल...

बिजनेस डेस्कः ईरान और इजराइल के बीच जारी संघर्ष में मंगलवार को ईरान ने इजराइल पर मिसाइलों से हमला किया, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है। इस संघर्ष का प्रभाव केवल इजराइल, ईरान और लेबनान तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि यह पूरे पश्चिमी एशिया (मिडिल ईस्ट) में असर डाल सकता है। इससे भारत भी प्रभावित हो सकता है, खासकर महंगाई और शेयर बाजार पर।

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महंगाई पर पड़ने वाला असर

ईरान-इजराइल युद्ध का सबसे अधिक प्रभाव भारत में महंगाई पर पड़ने की संभावना है। इसका मुख्य कारण यह है कि भारत अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत से अधिक पेट्रोलियम आयात करता है। पेट्रोल और डीजल की कीमतें महंगाई से सीधे जुड़ी हुई हैं, क्योंकि माल ढुलाई के लिए भारत अभी भी सड़क परिवहन पर निर्भर है। ऐसे में अगर ईरान-इजराइल संघर्ष के चलते पेट्रोलियम की कीमतें बढ़ती हैं, तो भारत में आवश्यक वस्तुओं जैसे सब्जियों और दूध की कीमतों में वृद्धि होना तय है।

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15% तक गिर सकता है शेयर बाजार

DRChoksey FinServ के मैनेजिंग डायरेक्टर, देवन चोक्सी ने कहा कि शेयर बाजार में निकट भविष्य में 10 से 15% की गिरावट आ सकती है। उन्होंने कहा कि तकनीकी स्तर कमजोर हो चुके हैं और बाजार इस समय 'ओवरबॉट' की स्थिति में है। इसके अलावा SEBI की ओर से F&O नियमों में बदलाव और चीन के नए आर्थिक ऐलानों का असर भी बाजार के सेंटीमेंट पर देखने को मिलेगा।

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कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट

मंगलवार को ईरान के इजराइल पर हमले का असर कच्चे तेल की कीमतों पर भी देखने को मिला है। कच्चे तेल की कीमतों में 4 प्रतिशत का उछाल आया है, जिसमें ब्रेंट फ्यूचर का रेट 3.5 प्रतिशत बढ़कर 74.2 डॉलर प्रति बैरल हो गया है, जबकि अमेरिका का वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड ऑयल 2.54 डॉलर यानी 3.7 प्रतिशत बढ़कर 70.7 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है।

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RBI की मौद्रिक नीति पर प्रश्नचिन्ह

ईरान-इजराइल युद्ध के चलते नई परिस्थितियों को देखते हुए यह देखना होगा कि अगले हफ्ते भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति की बैठक में रेपो रेट में कटौती का निर्णय लिया जाएगा या नहीं। आरबीआई के सामने कई चुनौतियाँ हैं, जैसे अमेरिका के फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती, चीन द्वारा अपनी अर्थव्यवस्था को 142 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज का प्रावधान और ईरान-इजराइल युद्ध के कारण कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि।

इन सभी समस्याओं के बीच आरबीआई को महंगाई पर नियंत्रण बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लेने होंगे। इसके साथ ही, आने वाले त्योहारों के मौसम में डिमांड को बढ़ाने के लिए भी RBI को संतुलन बनाना होगा। वर्तमान में, कार डीलरों के पास 70,000 करोड़ रुपए से अधिक की कारों की इन्वेंटरी मौजूद है और कार कंपनियों ने ग्राहकों को भारी छूट देने के लिए ऑफर भी पेश किए हैं।

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