Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Mar, 2025 03:02 PM

भारत सरकार ने दक्षिण कोरियाई टेक दिग्गज सैमसंग और उसके भारतीय अधिकारियों को 601 मिलियन डॉलर (करीब 5000 करोड़ रुपए) के बकाया कर और जुर्माने का भुगतान करने का आदेश दिया है। सरकार का आरोप है कि सैमसंग ने टेलीकॉम उपकरण के आयात में गलत वर्गीकरण...
बिजनेस डेस्कः भारत सरकार ने दक्षिण कोरियाई टेक दिग्गज सैमसंग और उसके भारतीय अधिकारियों को 601 मिलियन डॉलर के बकाया कर और जुर्माने का भुगतान करने का आदेश दिया है। सरकार का आरोप है कि सैमसंग ने टेलीकॉम उपकरण के आयात में गलत वर्गीकरण (misclassification) कर शुल्क से बचने की कोशिश की।
क्या है मामला?
- सैमसंग ने 2018 से 2021 के बीच कोरिया और वियतनाम से 'रिमोट रेडियो हेड' नामक एक महत्वपूर्ण टेलीकॉम उपकरण का आयात किया।
- भारतीय टैक्स अधिकारियों के अनुसार, यह उपकरण मोबाइल टावरों में ट्रांसमिशन के लिए इस्तेमाल होता है और इस पर 10%-20% आयात शुल्क लगाया जाना चाहिए था।
- सैमसंग ने इसे ड्यूटी-फ्री उत्पाद बताकर 784 मिलियन डॉलर (करीब 6500 करोड़ रुपए) के उपकरण बिना टैक्स चुकाए आयात कर लिए।
सरकार का आरोप
- 8 जनवरी 2024 को जारी टैक्स ऑर्डर में कस्टम्स कमिश्नर सोनल बजाज ने कहा कि सैमसंग ने जानबूझकर गलत दस्तावेज प्रस्तुत किए और भारतीय कानूनों का उल्लंघन किया।
- सरकार को राजस्व में नुकसान पहुंचाने और अनैतिक व्यापारिक तरीकों का इस्तेमाल करने का भी आरोप लगाया गया है।
- सैमसंग को 520 मिलियन डॉलर (44.6 अरब रुपए) टैक्स और 100% पेनल्टी का भुगतान करने के लिए कहा गया है।
- इसके अलावा सैमसंग इंडिया के 7 अधिकारियों पर 81 मिलियन डॉलर (करीब 670 करोड़ रुपए) का जुर्माना लगाया गया है।
किन अधिकारियों पर लगा जुर्माना?
- संग बीम होंग (Samsung Network Division VP)
- डोंग वोन चू (Chief Financial Officer)
- शीतल जैन (General Manager, Finance)
- निखिल अग्रवाल (General Manager, Indirect Taxes)
सैमसंग की प्रतिक्रिया
सैमसंग ने कहा कि यह मामला टेलीकॉम उपकरणों के वर्गीकरण से जुड़ा है और कंपनी भारतीय कानूनों का पालन करती है। कंपनी कानूनी विकल्पों पर विचार कर रही है।
भारत में विदेशी कंपनियों पर बढ़ती सख्ती
हाल ही में फॉक्सवैगन पर भी 1.4 बिलियन डॉलर (करीब 11,600 करोड़ रुपए) का आयात कर विवाद चल रहा है। भारत सरकार विदेशी कंपनियों द्वारा गलत तरीके से आयात शुल्क से बचने की कोशिशों पर सख्ती कर रही है। इस टैक्स विवाद के बाद भारत में विदेशी कंपनियों के लिए नियामक चुनौतियां और बढ़ सकती हैं।