Edited By jyoti choudhary,Updated: 23 Sep, 2024 10:55 AM
भारत ने दुनिया के सबसे बड़े व्यापार समझौते, रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP) में शामिल होने से इनकार कर दिया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह समझौता देश के हित में नहीं...
बिजनेस डेस्कः भारत ने दुनिया के सबसे बड़े व्यापार समझौते, रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (Regional Comprehensive Economic Partnership (RCEP) में शामिल होने से इनकार कर दिया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि यह समझौता देश के हित में नहीं है, खासकर चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते में शामिल होना।
RCEP समझौते पर 2020 में हस्ताक्षर हुए थे, जिसमें 15 एशिया-प्रशांत देश शामिल हैं और यह 2022 में प्रभावी हुआ। इस समझौते के तहत ये देश दुनिया की 30% GDP का प्रतिनिधित्व करते हैं। हालांकि, भारत ने 2019 में इस समझौते से हटने का निर्णय लिया, क्योंकि कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे अनसुलझे रह गए थे, जो भारत के लिए हितकारी नहीं थे।
RCEP से बाहर रहने के कारण
- किसानों और छोटे उद्योगों के लिए नुकसान: यह समझौता भारतीय किसानों और सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों (MSMEs) के हितों को पूरा नहीं करता।
- चीन के साथ मुक्त व्यापार: गोयल ने इसे चीन के साथ मुक्त व्यापार समझौते के रूप में देखा, जो भारत के लिए फायदेमंद नहीं था।
- चीन की अस्पष्ट व्यापारिक प्रथाएं: गोयल ने चीन पर आरोप लगाया कि उसकी व्यापारिक प्रथाएं 'अस्पष्ट' हैं और यह लोकतांत्रिक देशों के लिए चुनौतीपूर्ण है।
सेमीकंडक्टर सेक्टर में भारत की योजना
सेमीकंडक्टर सेक्टर में भारत की रणनीति पर चर्चा करते हुए गोयल ने कहा कि भारत ताइवान 'प्लस वन' विकल्प के रूप में उभर सकता है। यह रणनीति कंपनियों को चीन पर पूरी तरह निर्भर होने से बचाते हुए भारत में अपने सेमीकंडक्टर निर्माण को बढ़ाने का अवसर देती है। भारत ने सेमीकंडक्टर उद्योग को विकसित करने के लिए बड़े पैमाने पर निवेश किया है और अब तक चार सेमीकंडक्टर प्लांट्स पर काम शुरू हो चुका है, जिसमें से एक प्लांट Tata Electronics और ताइवान की Powerchip Semiconductor के साथ साझेदारी में गुजरात के धोलेरा में स्थापित किया जा रहा है।
भारत 2030 तक $100 बिलियन सेमीकंडक्टर उत्पादों की मांग की उम्मीद कर रहा है और इस क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को निवेश के लिए आकर्षित कर खुद को एक प्रमुख सेमीकंडक्टर हब के रूप में स्थापित करने की योजना पर काम कर रहा है।
चीन की WTO नीतियों पर आलोचना
- सस्ते और निम्न गुणवत्ता वाले उत्पाद: चीन WTO नीतियों का लाभ उठाकर वैश्विक बाजारों में सस्ते और निम्न गुणवत्ता वाले उत्पाद भेज रहा है, जिससे स्थानीय उद्योगों पर दबाव बढ़ रहा है।
- प्रमुख क्षेत्रों में प्रभाव: सौर पैनल, कार, और स्टील जैसे उत्पादों में चीन की सस्ती निर्यात नीति अन्य देशों के उद्योगों को नुकसान पहुंचा रही है।