Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Mar, 2025 02:56 PM

भारत अगले पांच वर्षों में $7-8 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस लक्ष्य को हासिल करने में बॉन्ड बाजार की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, जिसका मौजूदा मूल्य $2.69 ट्रिलियन तक पहुंच गया है।
बिजनेस डेस्कः भारत अगले पांच वर्षों में $7-8 ट्रिलियन की अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। इस लक्ष्य को हासिल करने में बॉन्ड बाजार की महत्वपूर्ण भूमिका होगी, जिसका मौजूदा मूल्य $2.69 ट्रिलियन तक पहुंच गया है।
भारत का बॉन्ड बाजार तेजी से विस्तार कर रहा है
क्लियरिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCIL) और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2024 के अंत में भारतीय बॉन्ड बाजार $2.69 ट्रिलियन पर पहुंच गया। इसमें कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार की हिस्सेदारी $602 बिलियन से अधिक रही।
कॉरपोरेट बॉन्ड से मजबूत होती फंडिंग
कॉरपोरेट बॉन्ड मार्केट में तेजी अन्य क्षेत्रों की तुलना में अधिक देखी जा रही है। इससे स्पष्ट होता है कि कंपनियां अब ऋण-आधारित वित्तपोषण को प्राथमिकता दे रही हैं, जिससे उनके संचालन के विस्तार में तेजी आ रही है।
वित्त वर्ष 2024-25 के पहले नौ महीनों में कुल बकाया बॉन्ड स्टॉक में $100 बिलियन की वृद्धि हुई। हालांकि, इस दौरान भारतीय रुपए में 2.7% की गिरावट दर्ज की गई। भारतीय रुपए में कुल बॉन्ड बाजार 6.5% बढ़ा, जबकि कॉरपोरेट बॉन्ड बाजार में 9% की वृद्धि हुई।
अंतरराष्ट्रीय तुलना में भारत अभी पीछे
हालांकि भारत का बॉन्ड बाजार तेजी से बढ़ रहा है, फिर भी यह वैश्विक बाजारों की तुलना में पिछड़ा हुआ है। वर्तमान में यह भारतीय इक्विटी बाजार पूंजीकरण का 0.65x है, जबकि विकसित अर्थव्यवस्थाओं में यह अनुपात 1.2-2.0x तक होता है।
बॉन्ड बाजार में बढ़ती दिलचस्पी
हाल ही में इक्विटी बाजार में उतार-चढ़ाव बढ़ा है, जिसके कारण बॉन्ड में निवेश की मांग बढ़ रही है। निवेशकों ने इस तिमाही में बॉन्ड मार्केट में अधिक रुचि दिखाई है। विशेषज्ञों का मानना है कि फिक्स्ड इनकम इंस्ट्रूमेंट्स (बॉन्ड आदि) अब भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए एक प्रमुख वित्तीय साधन बनते जा रहे हैं।
आर्थिक विकास में बॉन्ड की भूमिका
भारत के $8 ट्रिलियन अर्थव्यवस्था बनने की दिशा में कॉरपोरेट बॉन्ड का बड़ा योगदान रहेगा। इन बॉन्ड के जरिए इन्फ्रास्ट्रक्चर, औद्योगिक विकास और आर्थिक स्थिरता के लिए पूंजी जुटाई जाएगी।
सरकार और निवेशकों की नजर अब बॉन्ड बाजार की गहराई और लिक्विडिटी बढ़ाने वाले नियामक सुधारों पर रहेगी, जो भारत के आर्थिक भविष्य को और अधिक सशक्त बना सकते हैं।