Edited By jyoti choudhary,Updated: 30 Sep, 2024 06:22 PM
भारत का अप्रैल-अगस्त का राजकोषीय घाटा (fiscal deficit) 4.35 लाख करोड़ रुपए पर रहा, जो वित्त वर्ष 2025 के लक्ष्य का 27% है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, इस वित्तीय वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त) में भारत का राजकोषीय घाटा 4.35 लाख करोड़ रुपए...
बिजनेस डेस्कः चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों (अप्रैल से अगस्त 2024) में भारत का राजकोषीय घाटा 4.35 लाख करोड़ रुपये रहा, जो कि साल के लिए निर्धारित लक्ष्य का 27 प्रतिशत है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यह घाटा वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में 36 प्रतिशत था।
सरकार का लक्ष्य
सरकार ने चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.9 प्रतिशत तक सीमित रखने का अनुमान लगाया है। पिछले वित्त वर्ष में यह 5.6 प्रतिशत था।
राजस्व और खर्च का विवरण
आंकड़ों के अनुसार, इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में शुद्ध टैक्स राजस्व 8.7 लाख करोड़ रुपए रहा, जो बजट अनुमान का 33.8 प्रतिशत है। वहीं, सरकार का कुल खर्च 16.5 लाख करोड़ रुपए रहा, जो बजट अनुमान का 34.3 प्रतिशत है।
राजकोषीय घाटा क्या है?
राजकोषीय घाटा किसी निश्चित अवधि में सरकार के खर्च और राजस्व के बीच का अंतर दर्शाता है। जब सरकार अपने साधनों से अधिक खर्च करती है, तो इसे राजकोषीय घाटा कहा जाता है। इसका आकलन देश के जीडीपी के प्रतिशत या राजस्व पर खर्च की गई राशि के रूप में किया जाता है।