Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Feb, 2025 11:31 AM
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अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिका के साथ भारत के 35 अरब डॉलर के व्यापार अधिशेष को कम करने के लिए ऊर्जा की खरीद बढ़ाने का आग्रह किया। यह मांग ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी की थी।
नई दिल्लीः अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अमेरिका के साथ भारत के 35 अरब डॉलर के व्यापार अधिशेष को कम करने के लिए ऊर्जा की खरीद बढ़ाने का आग्रह किया। यह मांग ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में भी की थी।
पहले कार्यकाल में क्या हुआ था?
2018 में ट्रंप के सत्ता संभालने के एक साल बाद भारत ने अमेरिका से कच्चे तेल का आयात पांच गुना बढ़ाया था। जब 2021 में ट्रंप ने सत्ता छोड़ी, तब भारत 4,15,000 बैरल प्रति दिन अमेरिकी तेल खरीद रहा था।
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि अब हालात बदल चुके हैं और अमेरिका से कच्चे तेल की खरीद में बड़ी वृद्धि की संभावना कम है। रूस से सस्ता तेल, बदलती भू-राजनीति, और भारतीय रिफाइनरियों की जटिल संरचना के चलते अमेरिकी तेल की खरीद चुनौतीपूर्ण हो सकती है। हालांकि, एलएनजी (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) की खरीद थोड़ी बढ़ सकती है लेकिन यह व्यापार अधिशेष को संतुलित करने के लिए पर्याप्त नहीं होगा।
अमेरिकी तेल खरीद में क्या हैं चुनौतियां?
रूस और खाड़ी देशों के सस्ते विकल्प
- रूस से भारत को सस्ता तेल मिल रहा है, जिससे अमेरिकी तेल महंगा साबित हो रहा है।
- 2023 में रूस से तेल की औसत कीमत 75 डॉलर/बैरल थी, जबकि अमेरिकी तेल 83 डॉलर/बैरल था।
- रूसी तेल पर मिलने वाली छूट (3-4 डॉलर प्रति बैरल) भी इसे आकर्षक बनाती है।
लंबी दूरी और ऊंची ढुलाई लागत
अमेरिकी तेल की ढुलाई लागत खाड़ी देशों की तुलना में अधिक है, जिससे यह भारत के लिए कम लाभदायक हो जाता है।
राजनीतिक दबाव नहीं
सरकारी तेल कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि अभी तक सरकार की ओर से अमेरिका से कच्चा तेल खरीदने का कोई दबाव नहीं है। व्यापार को वाणिज्यिक समझदारी के आधार पर करने की नीति अपनाई जा रही है।
एलएनजी का सीमित विकल्प
पिछले वित्त वर्ष में भारत ने 14% एलएनजी अमेरिका से आयात किया था, लेकिन लंबी अवधि के अनुबंध और दूरी की वजह से इसमें भी ज्यादा वृद्धि की संभावना नहीं है।
क्या भारत अमेरिकी तेल खरीदेगा?
सरकारी तेल कंपनियों के अनुसार, अमेरिका से तेल खरीद ‘अवसर व्यापार’ (opportunity trade) होगी यानी यदि कीमतें प्रतिस्पर्धी होंगी तो भारतीय रिफाइनर इसे खरीदेंगे।