Edited By jyoti choudhary,Updated: 06 Nov, 2024 06:17 PM
डोनाल्ड ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल (जनवरी 2017 से जनवरी 2021) के दौरान भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में कई बदलाव देखने को मिले। इस अवधि के दौरान, भारत ने अमेरिका के साथ लगातार व्यापार अधिशेष बनाए रखा, जो विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में...
बिजनेस डेस्कः डोनाल्ड ट्रंप के पहले राष्ट्रपति कार्यकाल (जनवरी 2017 से जनवरी 2021) के दौरान भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंधों में कई बदलाव देखने को मिले। इस अवधि के दौरान, भारत ने अमेरिका के साथ लगातार व्यापार अधिशेष बनाए रखा, जो विभिन्न प्रमुख क्षेत्रों में निर्यात वृद्धि का परिणाम था।
व्यापार सांख्यिकी (Trade Statistics)
2016-17 से 2020-21 तक के प्रमुख आंकड़े:
- 2016-17: भारत का अमेरिका को निर्यात रहा $42.3 बिलियन, जबकि आयात $24.5 बिलियन रहा। व्यापार संतुलन +$17.8 बिलियन था।
- 2017-18: निर्यात में वृद्धि हुई और यह $47.9 बिलियन तक पहुंच गया। भारत का अमेरिका से आयात $26.9 बिलियन रहा, जिससे अति व्यापार संतुलन +$21.0 बिलियन बन गया।
- 2018-19: निर्यात $54.2 बिलियन और आयात $35.5 बिलियन रहा, जिससे व्यापार संतुलन +$18.7 बिलियन रहा।
- 2019-20: निर्यात $57.4 बिलियन, जबकि आयात $35.3 बिलियन रहा, व्यापार संतुलन +$22.1 बिलियन बना।
- 2020-21: निर्यात $51.6 बिलियन, और आयात $28.3 बिलियन रहा, जिससे व्यापार संतुलन +$23.3 बिलियन रहा।
भारत ने साल-दर-साल अमेरिका के साथ व्यापार अधिशेष बनाए रखा, विशेष रूप से IT सेवाएं, औषधियां, वस्त्र और आभूषण के निर्यात के चलते।
निर्यात वृद्धि: निर्यात में लगातार वृद्धि हुई, 2016-17 में $42.3 बिलियन से बढ़कर 2019-20 में $57.4 बिलियन हो गई।
आयात वृद्धि: अमेरिका से आयात भी बढ़कर 2019-20 में $35.3 बिलियन हो गया, जिसमें मशीनरी, रसायन और ऊर्जा मुख्य रूप से शामिल थे।
ट्रंप प्रशासन की नीति
डोनाल्ड ट्रंप ने 'सही व्यापार' की नीति अपनाई, जिसका अर्थ था व्यापार घाटे को कम करना। हालांकि, कुछ वस्तुओं पर शुल्क लगाने के बावजूद, भारत ने अमेरिका के साथ अपने व्यापार अधिशेष को बनाए रखा। ट्रंप प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया कि भारत के साथ व्यापार संबंधों में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन न हो लेकिन कई व्यापार मुद्दों पर फिर से बातचीत करने का प्रयास किया।
2016-2021 के बीच भारत और अमेरिका के बीच व्यापार संबंध मजबूत रहे। यह अवधि भारत के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुई, जिसमें निर्यात में वृद्धि और व्यापार अधिशेष बनाए रखने में सफलता मिली। इसके साथ ही भारत अमेरिका की सेवाओं और उत्पादों के लिए एक महत्वपूर्ण बाजार बन गया।