Edited By jyoti choudhary,Updated: 16 Jan, 2025 04:05 PM
साल 2025 में वैश्विक अर्थव्यवस्था चुनौतियों से घिरी रहने की संभावना है लेकिन भारत अपनी मजबूत विकास दर बनाए रखेगा। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर प्रमुख अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर बनी रहेगी। विश्व आर्थिक मंच द्वारा...
बिजनेस डेस्कः साल 2025 में वैश्विक अर्थव्यवस्था चुनौतियों से घिरी रहने की संभावना है लेकिन भारत अपनी मजबूत विकास दर बनाए रखेगा। एक ताजा रिपोर्ट के अनुसार, ज्यादातर प्रमुख अर्थशास्त्रियों का मानना है कि वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर बनी रहेगी। विश्व आर्थिक मंच द्वारा किए गए एक सर्वे में, 56 प्रतिशत मुख्य अर्थशास्त्रियों ने आर्थिक स्थिति के और कमजोर होने की आशंका जताई, जबकि केवल 17 प्रतिशत ने सुधार की उम्मीद व्यक्त की है।
यूरोप के लिए दृष्टिकोण निराशाजनक
अमेरिकी अर्थव्यवस्था से 2025 में मजबूत वृद्धि की उम्मीद है और दक्षिण एशिया, विशेष रूप से भारत में भी मजबूत वृद्धि बनाए रखने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया कि यूरोप के लिए दृष्टिकोण निराशाजनक बना हुआ है, जिसमें 74 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने इस साल कमजोर या बहुत कमजोर ग्रोथ की बात कही है। चीन के लिए भी संभावनाएं मजबूत होती नहीं दिख रही है। WEF ने दुनिया भर के सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों के प्रमुख मुख्य अर्थशास्त्रियों के साथ सलाह और सर्वेक्षण के आधार पर तैयार की गई रिपोर्ट में कहा कि आने वाले सालों में विकास की गति धीरे-धीरे धीमी होने का अनुमान है।
दक्षिण एशिया में स्थिति बेहतर
दक्षिण एशिया में स्थिति बेहतर बनी हुई है, जहां 61 प्रतिशत मुख्य अर्थशास्त्रियों ने 2025 में मजबूत या बहुत मजबूत विकास की उम्मीद जताई है। इस क्षेत्रीय प्रदर्शन को मुख्य रूप से भारत में मजबूत विकास द्वारा संचालित किया गया है, जो दुनिया की सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था बनी हुई है। हालांकि, अब कुछ गति खोने के संकेत मिल रहे हैं। भारत के लिए नवीनतम राष्ट्रीय खाता डेटा 2024 की तीसरी तिमाही में साल-दर-साल जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि 5.4 प्रतिशत की ओर इशारा करता है, जो लगभग दो सालों में सबसे धीमी दर है, जिससे दिसंबर में केंद्रीय बैंक के वार्षिक विकास पूर्वानुमान में कमी आई है।
वैश्विक व्यापार की मात्रा में वृद्धि की भी है 48% को उम्मीद
चीन की आर्थिक ग्रोथ धीमी पड़ने का अनुमान है, क्योंकि उपभोक्ता मांग में कमी और उत्पादकता में कमी के चलते वैश्विक सुधार की प्रकृति असमान और अनिश्चित है। व्यापार परिदृश्य पर, लगभग आधे या 48 प्रतिशत मुख्य अर्थशास्त्रियों ने 2025 में वैश्विक व्यापार की मात्रा में वृद्धि की उम्मीद जताई है, जो वैश्विक वाणिज्य के लचीलेपन को रेखांकित करता है। ज्यादातर लोगों ने प्रमुख शक्तियों और व्यापक रूप से व्यापार तनाव में ग्रोथ की उम्मीद जताई है। लगभग 82 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अगले तीन वर्षों में व्यापार के अधिक क्षेत्रीयकरण की भविष्यवाणी की है।