Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Jun, 2024 03:06 PM
भारतीय वाहन उद्योग पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में 19 प्रतिशत बढ़कर 10.22 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, बहुपयोगी और स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) खंड के मजबूत प्रदर्शन से वाहन उद्योग में उछाल आया है।...
मुंबईः भारतीय वाहन उद्योग पिछले वित्त वर्ष (2023-24) में 19 प्रतिशत बढ़कर 10.22 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है। बुधवार को जारी एक रिपोर्ट के अनुसार, बहुपयोगी और स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) खंड के मजबूत प्रदर्शन से वाहन उद्योग में उछाल आया है। प्रबंधन परामर्शक कंपनी प्राइमस पार्टनर्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 में मात्रा के लिहाज से वाहन उद्योग का आकार 10 प्रतिशत बढ़ गया। यूवी (बहुपयोगी) और एसयूवी खंड में उल्लेखनीय बदलाव यह रहा कि पिछले वित्त वर्ष में इनकी मात्रा में 23 प्रतिशत और कीमत में 16 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जिससे कुल मूल्य 39 प्रतिशत बढ़ गया।
रिपोर्ट में कहा गया कि इस खंड में औसत मूल्यवृद्धि कीमतों में सामान्य वृद्धि, उच्च खंड और हाइब्रिड और स्वचालित की ओर झुकाव, ‘सनरूफ' की लोकप्रियता और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की मांग बढ़ने के कारण हुई। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय ग्राहक विभिन्न क्षेत्रों में अधिक ऊंचे एवं महंगे मॉडल को पसंद कर रहे हैं, तथा वाहनों की औसत कीमत बढ़ रही है। प्राइमस पार्टनर्स के प्रबंध निदेशक अनुराग सिंह ने कहा, “भारत कम कीमत वाले उत्पादों को दरकिनार करते हुए और खूबियों और ऊंची कीमत वाले वाहनों को पसंद कर रहा है। उपभोक्ता प्राथमिकताएं और मजबूत आर्थिक बुनियादी बातें भारतीय वाहन उद्योग में इस बदलाव को आगे बढ़ा रही हैं। खास बात यह है कि यूवी और एसयूवी खंड अधिकांश भारतीय उपभोक्ताओं के लिए पसंदीदा विकल्प बन रहे हैं।”
दूसरी ओर, यात्री वाहन (पीवी) खंड में मामूली मूल्य वृद्धि के कारण मात्रा में नौ प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जिससे मूल्य में चार प्रतिशत गिरावट आई। दोपहिया वाहन खंड में, भारत में मात्रा में 10 प्रतिशत और मूल्य में 13 प्रतिशत की वृद्धि देखी गई। वहीं, तिपहिया वाहन खंड में मात्रा में 16 प्रतिशत और मूल्य में 24 प्रतिशत की वृद्धि हुई और वाणिज्यिक वाहन खंड में मात्रा में तीन प्रतिशत और मूल्य में सात प्रतिशत की वृद्धि हुई। रिपोर्ट में कहा गया है कि पंजीकृत वाहनों के मामले में चीन और अमेरिका के बाद भारत तीसरे स्थान पर है लेकिन मूल्य के मामले में यह जापान और जर्मनी जैसे देशों से पीछे है। इसके अलावा, भारत में एक वाहन की औसत कीमत कई उन्नत देशों की तुलना में कम है। रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय वाहन उद्योग का मूल्य मात्रा की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहा है।