JP Morgan के एमर्जिंग इंडेक्स में शामिल हुआ भारतीय बॉन्ड, इतने रुपए तक आ सकता है विदेशी निवेश

Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Jun, 2024 11:14 AM

indian bond included in jp morgan s emerging index

जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी अपने बेंचमार्क एमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारत के सरकारी बॉन्ड्स को शामिल कर लिया है। दो साल तक भारत को वॉचलिस्ट में रखने के बाद यह फैसला किया है। पिछले साल सितंबर में जेपी मॉर्गन ने कहा था कि 28 जून, 2024 से उसके

बिजनेस डेस्कः जेपी मॉर्गन चेज एंड कंपनी अपने बेंचमार्क एमर्जिंग मार्केट इंडेक्स में भारत के सरकारी बॉन्ड्स को शामिल कर लिया है। दो साल तक भारत को वॉचलिस्ट में रखने के बाद यह फैसला किया है। पिछले साल सितंबर में जेपी मॉर्गन ने कहा था कि 28 जून, 2024 से उसके गवर्मेंट बॉन्ड इंडेक्स-इमर्जिंग मार्केट (जीबीआई-ईएम) में भारतीय बॉन्ड शामिल होगा।

भारतीय बॉन्ड का भार जीबीआई-ईएम में 28 जून से शुरू होकर 31 मार्च, 2025 तक 10 महीने की अवधि में धीरे-धीरे बढ़कर 10 फीसदी हो जाएगा। इस फैसले से भारत के बॉन्ड बाजार में 2.50 लाख करोड़ रुपए तक का निवेश आने का अनुमान है। अभी 330 अरब डॉलर (27.36 लाख करोड़ रुपए) के 23 भारतीय सरकारी बॉन्ड इंडेक्स में शामिल किए जाने के लिए पात्र हैं। भारत सरकार ने 2020 में फुली एक्सेसिबल रूट (एफएआर) की शुरुआत की और विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में सहायता के लिए बाजारों में पर्याप्त सुधार किया। जिससे जेपी मॉर्गन भारतीय बॉन्ड्स को इंडेक्स में शामिल करेगा।

विश्लेषकों के मुताबिक, इससे देश में बेस रेट में बदलाव होगा और ब्याज में भारी कमी आनी चाहिए। उधार की लागत बढ़ने से कोरोना काल से ही भारत में राजकोषीय घाटा बढ़ा हुआ है। अब इसमें कमी होनी चाहिए, क्योंकि उधारी की लागत का एक बड़ा हिस्सा इससे आएगा। यह बैंक, एनबीएफसी जैसी कंपनियों के लिए सकारात्मक है। उभरते बाजारों में भारत का बॉन्ड बाजार तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। इसका बाजार पूंजीकरण 1.2 लाख करोड़ डॉलर से ज्यादा है। यह इंडोनेशिया के मुकाबले तीन गुना ज्यादा है। रूस के इस सूची से बाहर होने और चीन में संकट से दुनिया के डेट निवेशकों के लिए कम ही विकल्प रह गए हैं।

बढ़ेगा विदेशी मुद्रा भंडार

भारत के शामिल होने से देश का विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ सकता है। साथ ही रुपये की स्थिरता में मदद मिलेगी। ब्याज दरों में कटौती और बॉन्ड ब्याज में कमी आएगी। कारोबारियों की तरह सरकार को भी पैसों की जरूरत पड़ती है। ऐसे में सरकार कई बार किसी विशेष प्रोजेक्ट के लिए बॉन्ड जारी करती है। वह बॉन्ड के जरिये यह कर्ज लेती है। सरकार जो बॉन्ड जारी करती है, उसे सरकारी बॉन्ड कहते हैं। इनमें ब्याज थोड़ा कम मिलता है, लेकिन इसमें निवेशकों का पैसा सुरक्षित रहता है।

25वां बाजार बन गया भारत

जून 2005 में लॉन्च के बाद से देश इस सूचकांक में प्रवेश करने वाला 25वां बाजार बन गया है। सितंबर 2023 में इस बॉन्ड के शामिल किए जाने की घोषणा के बाद से भारत सरकार के बांडों में 10 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश आ चुका है। विदेशी संस्थागत निवेशक के पास वर्तमान में सरकारी प्रतिभूतियों का 2.4 फीसदी हिस्सा है। अगले 12-18 महीनों में यह बढ़कर लगभग 5 फीसदी होने की संभावना है।

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