भारतीय अर्थव्यवस्था के 2047 तक 55,000 अरब डॉलर पर पहुंचने की उम्मीदः सुब्रमण्यन

Edited By jyoti choudhary,Updated: 21 Aug, 2024 06:09 PM

indian economy expected to reach 55 000 billion by 2047 subramanian

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने बुधवार को कहा कि डॉलर के संदर्भ में वृद्धि दर 12 प्रतिशत बनी रहने पर भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2047 तक 55,000 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। उन्होंने यहां उद्योग मंडल...

कोलकाताः अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी निदेशक कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यन ने बुधवार को कहा कि डॉलर के संदर्भ में वृद्धि दर 12 प्रतिशत बनी रहने पर भारतीय अर्थव्यवस्था का आकार 2047 तक 55,000 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। उन्होंने यहां उद्योग मंडल सीआईआई के एक कार्यक्रम में कहा कि वर्ष 2016 से मुद्रास्फीति का एक लक्ष्य तय किए जाने से देश में महंगाई की दर को औसतन पांच प्रतिशत तक लाने में मदद मिली है। वर्ष 2018 से 2021 तक मुख्य आर्थिक सलाहकार रह चुके सुब्रमण्यन ने कहा कि 2016 से पहले मुद्रास्फीति की औसत दर 7.5 प्रतिशत थी। उन्होंने कहा कि अगर वास्तविक वृद्धि दर आठ प्रतिशत रहने के साथ मुद्रास्फीति पांच प्रतिशत रहती है तो बाजार मूल्य पर वृद्धि दर 13 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

सुब्रमण्यन ने कहा, "दीर्घकाल में डॉलर की तुलना में भारतीय मुद्रा की विनिमय दर में गिरावट एक प्रतिशत से भी कम रहने से अर्थव्यवस्था की बुनियादी बातों पर इसका असर दिखेगा।'' इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि डॉलर के हिसाब से भारत की वास्तविक वृद्धि दर 12 प्रतिशत रहेगी। ऐसे में अर्थव्यवस्था का आकार हर छह साल में दोगुना हो जाएगा। सुब्रमण्यन ने कहा, "अर्थव्यवस्था का मौजूदा आकार 3,800 अरब डॉलर है। इसके वर्ष 2047 में 55,000 अरब डॉलर तक पहुंच जाने का अनुमान है।'' 

उन्होंने कहा कि भारत के लिए वास्तविक रूप से यानी आधार मूल्य पर आठ प्रतिशत की दर से वृद्धि हासिल करना संभव है। सुब्रमण्यन के मुताबिक, विकसित अर्थव्यवस्थाओं में निवेश स्थिर अवस्था में पहुंच गया है। वहां उत्पादकता में सुधार ही वृद्धि का एकमात्र स्रोत होगा। देश में आठ प्रतिशत की वृद्धि दर का दूसरा कारण अर्थव्यवस्था का अधिक संगठित होना है। उन्होंने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था का आधे से लेकर दो-तिहाई हिस्सा अभी भी असंगठित बना हुआ है। 

सुब्रमण्यन ने कहा, "अर्थव्यवस्था के अधिक संगठित होने से उत्पादकता में वृद्धि होगी लेकिन अन्य देशों की तुलना में भारत के संगठित क्षेत्र की उत्पादकता बढ़ाने की अभी भी गुंजाइश है।"
 

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