Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Dec, 2024 04:06 PM
भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के निर्यात में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में ₹3.95 लाख करोड़ के निर्यात से बढ़कर यह आंकड़ा 2024-25 में ₹12.39 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था...
नई दिल्लीः भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) के निर्यात में हाल के वर्षों में उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 में ₹3.95 लाख करोड़ के निर्यात से बढ़कर यह आंकड़ा 2024-25 में ₹12.39 लाख करोड़ तक पहुंच गया है। यह भारतीय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने और वैश्विक व्यापार में योगदान देने में MSME क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को दर्शाता है।
2024-25 में निर्यात करने वाले MSMEs की कुल संख्या भी 2020-21 के 52,849 से बढ़कर 1,73,350 हो गई है। 2023-24 में निर्यात में MSMEs का योगदान 45.73% था, जो मई 2024 तक बढ़कर 45.79% हो गया। इससे यह स्पष्ट होता है कि भारत के व्यापार प्रदर्शन में MSME क्षेत्र का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है।
भारत में MSME क्षेत्र ने हमेशा से अपनी लचीलेपन और अनुकूलता का प्रदर्शन किया है और देश के GDP में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। 2017-18 में MSME का सकल मूल्य संवर्धन (GVA) 29.7% था, जो 2022-23 में बढ़कर 30.1% हो गया।
वित्तीय वर्ष 2020-21 से 2021-22 के दौरान, 714 सूक्ष्म उद्यम मध्यम श्रेणी में और 3,701 लघु उद्यम मध्यम श्रेणी में अपग्रेड हुए। यह संख्या 2023-24 से 2024-25 के दौरान और बढ़ी, जब 2,372 सूक्ष्म उद्यम और 17,745 लघु उद्यम मध्यम श्रेणी में परिवर्तित हुए। यह प्रगति भारत के MSME क्षेत्र की मजबूत वृद्धि और गतिशीलता को दर्शाती है।