Edited By jyoti choudhary,Updated: 18 Dec, 2024 11:38 AM
भारतीय रुपया (Indian Rupee) एक बार फिर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। यह गिरावट देश की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय बन रही है। 2010 के बाद से रुपया डॉलर के मुकाबले अपनी आधी क्रय शक्ति गंवा चुका है, जिससे आयातित...
बिजनेस डेस्कः भारतीय रुपया (Indian Rupee) एक बार फिर अमेरिकी डॉलर के मुकाबले अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। यह गिरावट देश की अर्थव्यवस्था के लिए चिंता का विषय बन रही है। 2010 के बाद से रुपया डॉलर के मुकाबले अपनी आधी क्रय शक्ति गंवा चुका है, जिससे आयातित वस्तुओं और सेवाओं की लागत में भारी वृद्धि हो रही है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में डॉलर की मजबूती, वैश्विक आर्थिक अनिश्चितताओं और देश में बढ़ते आयात-निर्यात असंतुलन के कारण रुपया लगातार कमजोर हो रहा है। इसका असर आम जनता की जेब और देश के आर्थिक संतुलन पर पड़ रहा है। बुधवार को शुरुआती कारोबार में रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 84.92 पर आ गया। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 84.92 पर खुला, जो पिछले बंद भाव के मुकाबले एक पैसे की गिरावट दर्शाता है। रुपया मंगलवार को 84.91 प्रति डॉलर पर बंद हुआ था।
इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.03 प्रतिशत की गिरावट के साथ 106.92 पर रहा। अंतरराष्ट्रीय मानक ब्रेंट क्रूड 0.03 प्रतिशत की बढ़त के साथ 73.21 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर रहा। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) मंगलवार को बिकवाल रहे थे और उन्होंने शुद्ध रूप से 6,409.86 करोड़ रुपए के शेयर बेचे।