Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Dec, 2024 03:28 PM
मुद्रास्फीति के दबाव के बीच बढ़ती मंदी से इस साल अगस्त-अक्टूबर में दैनिक उपभोग की वस्तुओं के (एफएमसीजी) उद्योग की मात्रा वृद्धि सालाना आधार पर 6.4 प्रतिशत से घटकर 4.3 प्रतिशत रह गई है। शोध एवं अंतर्दृष्टि कंपनी कांतार ने अपनी नवीनतम ‘एफएमसीजी पल्स'...
नई दिल्लीः मुद्रास्फीति के दबाव के बीच बढ़ती मंदी से इस साल अगस्त-अक्टूबर में दैनिक उपभोग की वस्तुओं के (एफएमसीजी) उद्योग की मात्रा वृद्धि सालाना आधार पर 6.4 प्रतिशत से घटकर 4.3 प्रतिशत रह गई है। शोध एवं अंतर्दृष्टि कंपनी कांतार ने अपनी नवीनतम ‘एफएमसीजी पल्स' रिपोर्ट में कहा, इसके अलावा मई-जुलाई की अवधि में एफएमसीजी मात्रा की वृद्धि भी क्रमिक रूप से कम 4.5 प्रतिशत रही।
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘हम आखिरी तिमाही में हैं और अक्टूबर को समाप्त तिमाही तक एफएमसीजी की वृद्धि 4.3 प्रतिशत रही, पिछले वर्ष समान अवधि में वृद्धि 6.4 प्रतिशत रही थी। हालांकि मई-जुलाई की तिमाही की तुलना में इसमें मामूली बढ़त दर्ज की गई जब वृद्धि 4.5 प्रतिशत रही थी।''
मुद्रास्फीति के बारे में रिपोर्ट में कहा गया, 2022 की अगस्त-अक्टूबर अवधि में पहली बार प्रति परिवार औसत तिमाही खर्च 6,000 रुपए को पार कर गया था और तब से दो साल बाद खर्च में 13 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। 2024 में इस तिमाही में यह 6,761 रुपए रहा। ग्रामीण बाजार के बारे में कांतार ने कहा, यह भी चार प्रतिशत की वृद्धि के साथ ‘‘कमजोर प्रदर्शन'' कर रहा है, जो अगस्त-अक्टूबर की अवधि में शहरी बाजार की 4.5 प्रतिशत की वृद्धि से भी कम है।