महंगाई धीरे-धीरे हो रही नरम, पर खाद्य वस्तुओं के दाम चिंता का विषय: RBI बुलेटिन

Edited By jyoti choudhary,Updated: 20 Jun, 2024 02:08 PM

inflation is gradually softening but food prices are a matter

खुदरा महंगाई धीरे-धीरे कम हो रही है लेकिन लेकिन खाद्य वस्तुओं की ऊंची और अस्थिर कीमतें मुद्रास्फीति में कमी के रास्ते में बाधा बन रही है। भारतीय रिजर्व बैंक की बुधवार को जारी बुलेटिन में यह कहा गया। ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति' शीर्षक से जून, 2024 के...

मुंबईः खुदरा महंगाई धीरे-धीरे कम हो रही है लेकिन लेकिन खाद्य वस्तुओं की ऊंची और अस्थिर कीमतें मुद्रास्फीति में कमी के रास्ते में बाधा बन रही है। भारतीय रिजर्व बैंक की बुधवार को जारी बुलेटिन में यह कहा गया। ‘अर्थव्यवस्था की स्थिति' शीर्षक से जून, 2024 के बुटेलिन में प्रकाशित लेख में कहा गया कि 2024 की पहली तिमाही में वैश्विक वृद्धि मजबूत थी और कई केंद्रीय बैंकों ने अपने-अपने देशों में मुद्रास्फीति में गिरावट को देखते हुए कुछ नरम मौद्रिक नीति की ओर रुख किया है। 

उच्च आवृत्ति वाले संकेतक (जीएसटी संग्रह, बिजली खपत, माल ढुलाई, पीएमआई आदि) बताते हैं कि भारत में वित्त वर्ष 2024-25 की पहली तिमाही में वास्तविक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) वृद्धि दर मोटे तौर पर उससे पिछली तिमाही में हासिल की गई गति को बनाए रखेगी। आरबीआई के डिप्टी गवर्नर माइकल देबव्रत पात्रा की अगुवाई वाली टीम के लिखे इस लेख में कहा गया है कि इसके अलावा, दक्षिण-पश्चिम मानसून के समय से पहले आने से कृषि की संभावनाएं सकारात्मक हो रही हैं। 

लेख में लिखा गया है, “खुदरा मुद्रास्फीति में नरमी का कारण मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति (ईंधन और खाद्य वस्तुओं को छोड़कर) में निरंतर कमी आना है। हालांकि, खाद्य वस्तुओं की अस्थिर और उच्च कीमतों के कारण महंगाई घटने का मार्ग बाधित हो रहा है।” आरबीआई को खुदरा मुद्रास्फीति दो प्रतिशत घट-बढ़ के साथ चार प्रतिशत पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है। इसी महीने आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने नीतिगत रेपो दर को 6.50 प्रतिशत पर यथावत रखा। 

एमपीसी ने आर्थिक वृद्धि को समर्थन देते हुए मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुरूप बनाए रखने के लिए उदार रुख को वापस लेने पर ध्यान केंद्रित करने का अपना रुख दोहराया। केंद्रीय बैंक ने अनुमान लगाया है कि मुद्रास्फीति 2023-24 में 5.4 प्रतिशत से घटकर 2024-25 में 4.5 प्रतिशत हो जाएगी। आरबीआई ने कहा कि लेख में व्यक्त विचार लेखकों के हैं और यह केंद्रीय बैंक के विचारों का प्रतिनिधित्व नहीं करता हैं।  

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