Edited By jyoti choudhary,Updated: 12 Feb, 2025 05:52 PM
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अगले महीने होली से पहले महंगाई ने आम आदमी की जेब पर असर डालना शुरू कर दिया है। खाने-पीने की चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे त्योहारी बजट गड़बड़ा सकता है। खाने के तेल की कीमतें पिछले 15 दिनों में लगभग 5% बढ़ गई हैं और गेहूं के दामों में भी...
बिजनेस डेस्कः अगले महीने होली से पहले महंगाई ने आम आदमी की जेब पर असर डालना शुरू कर दिया है। खाने-पीने की चीजों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, जिससे त्योहारी बजट गड़बड़ा सकता है। खाने के तेल की कीमतें पिछले 15 दिनों में लगभग 5% बढ़ गई हैं और गेहूं के दामों में भी जल्द ही इजाफा होने की संभावना है। केंद्र सरकार द्वारा रबी फसलों के लिए एमएसपी में बढ़ोतरी के चलते गेहूं 5 रुपए प्रति किलो तक महंगा हो सकता है। वहीं, रुपए की कमजोरी के कारण विदेशी फलों, मेवों और सूखे मेवों के दाम भी बढ़ सकते हैं। भारतीय रसोई में इस्तेमाल होने वाले खाने के तेल का 60% आयात किया जाता है और फरवरी में तेल उत्पादक देशों में कीमतें बढ़ने से सोयाबीन, सूरजमुखी और पाम तेल के खुदरा दामों में 5-6 रुपए प्रति किलो की वृद्धि देखी गई है।
बढ़ती महंगाई के पीछे दो मुख्य कारण
खाने-पीने की चीजों की बढ़ती महंगाई के पीछे दो मुख्य कारण हैं- रुपए की गिरती कीमत और केंद्र सरकार द्वारा रबी सीजन 2025-26 के लिए फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) में बढ़ोतरी। सरसों का नया MSP 5,950 रुपए प्रति क्विंटल तय किया गया है, जो पिछले साल की तुलना में ₹300 ज्यादा है। वहीं, चने का MSP 200 रुपए बढ़कर ₹5,650 प्रति क्विंटल हो गया है। गेहूं के MSP में भी बढ़ोतरी हुई है, जिससे बाजार में गेहूं के दाम ₹500 प्रति क्विंटल तक बढ़ सकते हैं। इसका सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा और गेहूं की कीमत में ₹5 प्रति किलो तक की वृद्धि हो सकती है।
सरकार ने रबी फसलों के MSP में बढ़ोतरी किसानों की आय में सुधार के उद्देश्य से की है। MSP वह न्यूनतम मूल्य है जिस पर सरकार किसानों से उनकी फसल खरीदने की गारंटी देती है। यह मूल्य फसल उत्पादन लागत, बाजार की स्थितियों और अन्य कारकों को ध्यान में रखते हुए तय किया जाता है।
रुपए की गिरावट से बढ़ी महंगाई
रुपए के कमजोर होने से महंगाई पर और दबाव बढ़ रहा है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, रुपए के गिरते मूल्य का असर मार्च तक आयातित सेब और कीवी की कीमतों पर साफ दिखाई देगा। खाने के तेल में भी तेजी दर्ज की गई है- पाम तेल की कीमत 4.28% बढ़कर ₹146 प्रति किलो हो गई, जबकि सोयाबीन तेल 5.4% बढ़कर ₹135 प्रति किलो और सूरजमुखी तेल 3.2% बढ़कर ₹158 प्रति किलो पहुंच गया है।
घरेलू स्तर पर उत्पादित तेलों की कीमतें भी चढ़ रही हैं। सरसों का तेल ₹163 से बढ़कर ₹166 प्रति किलो, मूंगफली का तेल ₹183 से ₹185 प्रति किलो और बिनौला तेल ₹125 से ₹131 प्रति किलो हो गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर रुपए में और गिरावट आई, तो कीमतें और बढ़ सकती हैं, क्योंकि देश की 60% तेल की मांग आयात से पूरी होती है।
दिसंबर में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खाने के तेल की कीमतों में गिरावट ने रुपए की कमजोरी के प्रभाव को कुछ हद तक संतुलित किया था। हालांकि, अब हालात बदल रहे हैं- पाम तेल की सप्लाई में कमी और अर्जेंटीना व ब्राजील में खराब मौसम के कारण सूरजमुखी और सोयाबीन तेल की कीमतों में वृद्धि हो रही है। सिर्फ तेल ही नहीं, फलों की कीमतें भी बढ़ गई हैं। दिल्ली और मुंबई जैसे शहरों में अच्छे किस्म के सेब की कीमतों में 8-10% तक का इजाफा देखा गया है।