Edited By jyoti choudhary,Updated: 29 Jun, 2024 04:12 PM
सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात के पहले और बाद के रुपया निर्यात ऋण पर ब्याज समानीकरण योजना शुक्रवार को दो महीने के लिए बढ़ा दी। निर्यातकों को ब्याज लाभ प्रदान करने वाली यह योजना 30 जून को ही समाप्त हो रही थी। हालांकि, शीर्ष निर्यातकों...
नई दिल्लीः सरकार ने निर्यात को बढ़ावा देने के लिए निर्यात के पहले और बाद के रुपया निर्यात ऋण पर ब्याज समानीकरण योजना शुक्रवार को दो महीने के लिए बढ़ा दी। निर्यातकों को ब्याज लाभ प्रदान करने वाली यह योजना 30 जून को ही समाप्त हो रही थी। हालांकि, शीर्ष निर्यातकों के निकाय फियो ने इस कदम पर निराशा जताते हुए कहा कि केवल एमएसएमई निर्यातकों के लिए ही योजना का विस्तार किया गया है।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक सूचना में कहा, "व्यापार और उद्योग को सूचित किया जाता है कि निर्यात के पहले और निर्यात के बाद के रुपया निर्यात ऋण के लिए ब्याज समानीकरण योजना को दो महीने यानी 31 अगस्त तक बढ़ा दिया गया है।" हालांकि, यह विस्तार केवल एमएसएमई निर्यातकों के लिए ही लागू है और ऐसी विस्तारित अवधि के लिए योजना का कुल परिव्यय 750 करोड़ रुपए तक सीमित है। डीजीएफटी ने कहा कि गैर-एमएसएमई निर्यातकों के दावों पर 30 जून के बाद विचार नहीं किया जाएगा।
पिछले साल आठ दिसंबर को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने योजना को 30 जून तक जारी रखने के लिए 2,500 करोड़ रुपए के अतिरिक्त आवंटन को मंजूरी दी थी। यह योजना चिह्नित क्षेत्रों के निर्यातकों और सभी एमएसएमई विनिर्माता निर्यातकों को ऐसे समय में प्रतिस्पर्धी दरों पर रुपया निर्यात ऋण प्राप्त करने में मदद करती है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था मुश्किलों का सामना कर रही है। निर्यातकों को निर्यात के पहले और बाद रुपया निर्यात ऋण के लिए ब्याज समानीकरण योजना के तहत सब्सिडी मिलती है। योजना के तहत 9,538 करोड़ रुपए के मौजूदा परिव्यय के अलावा 2,500 करोड़ रुपए का अतिरिक्त परिव्यय उपलब्ध कराया गया था। यह योजना एक अप्रैल, 2015 से पांच साल के लिए शुरू की गई थी। इसके बाद इसे जारी रखा गया है, जिसमें कोविड-19 के दौरान एक साल का विस्तार और आगे के विस्तार और कोष आवंटन शामिल हैं।
फेडरेशन ऑफ इंडिया एक्सपोर्ट्स ऑर्गनाइजेशन (फियो) के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा कि यह उन गैर-एमएसएमई निर्यातकों के लिए काफी निराशाजनक है जो 410 उत्पाद श्रेणियों के तहत निर्यात कर रहे हैं। कुमार ने कहा, "इससे श्रम-बहुल निर्यात प्रभावित हो सकता है क्योंकि कई व्यापारी निर्यातक ऐसे उत्पादों के निर्यात में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और कुछ बड़ी कंपनियों से ऐसे उत्पादों का निर्यात भी प्रभावित हो सकता है।" यह योजना सीमित निधि वाली है और व्यक्तिगत निर्यातकों को प्रति वर्ष प्रति आईईसी (आयात निर्यात कोड) 10 करोड़ रुपए तक का लाभ दिया जाता है। मई में देश का निर्यात नौ प्रतिशत से अधिक बढ़कर 38.13 अरब डॉलर रहा।