Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Sep, 2024 05:03 PM
अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और इसके जोखिम को लेकर चिंतित रहते हैं, तो अब आपकी समस्या हल होने वाली है। सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड स्कीमों के जोखिम स्तर को और अधिक स्पष्ट और समझने योग्य बनाने के लिए एक नई कलर स्कीम लागू करने का प्रस्ताव...
बिजनेस डेस्कः अगर आप म्यूचुअल फंड में निवेश करते हैं और इसके जोखिम को लेकर चिंतित रहते हैं, तो अब आपकी समस्या हल होने वाली है। सेबी (SEBI) ने म्यूचुअल फंड स्कीमों के जोखिम स्तर को और अधिक स्पष्ट और समझने योग्य बनाने के लिए एक नई कलर स्कीम लागू करने का प्रस्ताव दिया है। इससे निवेशक म्यूचुअल फंड के जोखिम को आसानी से पहचान सकेंगे।
म्यूचुअल फंड में आप एसआईपी के जरिए हर महीने एक छोटी रकम का निवेश भी कर सकते हैं। आप चाहें तो एनुअल स्टेप अप का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। इसमें हर साल मंथली एसआईपी की रकम में कुछ तय प्रतिशत का इजाफा करना होता है। आमतौर पर म्यूचुअल फंड में लॉन्ग टर्म में 12 फीसदी का औसत सालाना रिटर्न मिल जाता है।
कलर कोडिंग से समझें जोखिम
सेबी का सुझाव है कि म्यूचुअल फंड्स को मौजूदा और नए जोखिम स्तरों को सरलता से समझाने के लिए कलर कोडिंग का उपयोग करना चाहिए। इसमें जोखिम के छह स्तर होंगे जिनमें हरा रंग कम जोखिम का और लाल रंग बहुत अधिक जोखिम वाली योजनाओं का प्रतीक होगा।
निवेशकों को मिलेगी तुरंत सूचना
यदि म्यूचुअल फंड के जोखिम स्तर में कोई बदलाव होता है, तो इसकी जानकारी निवेशकों को तुरंत दी जाएगी। यह सूचना नोटिस, ई-मेल या SMS के माध्यम से मिलेगी। इससे निवेशक समय-समय पर अपने निवेश के जोखिम स्तर के बारे में अपडेट रहेंगे।
सुझाव आमंत्रण
सेबी ने इस प्रस्ताव के लिए 18 अक्टूबर तक लोगों से सुझाव भी मांगे हैं, ताकि म्यूचुअल फंड निवेशकों के अनुभव को और बेहतर बनाया जा सके।
ये होंगे रिस्क के 6 लेवल
हरा: निम्न जोखिम
हल्का हरा-पीला: निम्न से मध्यम जोखिम
चमकीला पीला: मध्यम जोखिम
हल्का भूरा: मध्यम उच्च जोखिम
गहरा नारंगी: उच्च जोखिम
लाल: बहुत उच्च जोखिम