Hyundai के IPO में पैसा लगाने से कतरा रहे निवेशक, दो दिन में मिला हुआ सिर्फ इतना सब्सक्राइब

Edited By jyoti choudhary,Updated: 17 Oct, 2024 11:10 AM

investors are hesitant to invest in hyundai s ipo

दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनी हुंडई मोटर इंडिया (Hyundai Motor) का IPO मंगलवार, 15 अक्टूबर को खुला था। आज यानी गुरुवार, 17 अक्टूबर को इस आईपीओ को सब्सक्राइब करने का तीसरा और आखिरी दिन है। बुधवार, 16 अक्टूबर को इस आईपीओ का दूसरा दिन था। आपको जानकर हैरानी...

बिजनेस डेस्कः दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनी हुंडई मोटर इंडिया (Hyundai Motor) का IPO मंगलवार, 15 अक्टूबर को खुला था। आज यानी गुरुवार, 17 अक्टूबर को इस आईपीओ को सब्सक्राइब करने का तीसरा और आखिरी दिन है। बुधवार, 16 अक्टूबर को इस आईपीओ का दूसरा दिन था। आपको जानकर हैरानी होगी कि निवेशक हुंडई मोटर इंडिया के आईपीओ में पैसा लगाने से कतरा रहे हैं। 

2 दिन में सिर्फ 0.42 गुना सब्सक्रिप्शन

दो दिन बीत जाने के बाद भी इस आईपीओ को सिर्फ 42 प्रतिशत सब्सक्रिप्शन ही मिला है। जहां एक तरफ कुछ आईपीओ खुलने के कुछ घंटों में ही पूरी तरह से सब्सक्राइब हो जाते हैं, वहीं दूसरी ओर ये आईपीओ दो दिन में आधा भी सब्सक्राइब नहीं हुआ है।

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भारत का सबसे बड़ा आईपीओ

एनएसई के आंकड़ों के मुताबिक 27,870 करोड़ रुपए वाले इस आईपीओ के तहत 9,97,69,810 शेयरों की ऑफरिंग के लिए अभी तक सिर्फ 4,17,21,442 शेयरों के लिए ही सब्सक्रिप्शन मिला है। बताते चलें कि ये भारतीय शेयर बाजार का सबसे बड़ा आईपीओ है। इससे पहले सरकारी इंश्योरेंस कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का 21,000 करोड़ रुपए का आईपीओ आया था।

सिर्फ कंपनी के कर्मचारियों ने दिखाई दिलचस्पी

बुधवार तक हुंडई के आईपीओ ने सिर्फ एम्प्लॉई कैटेगरी में ही 131 प्रतिशत सब्सक्रिप्शन हासिल किया है। क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशन्स ने इस आईपीओ के लिए अभी तक 58 प्रतिशत, नॉन-इंस्टीट्यूशनल बायर्स ने 26 प्रतिशत, रिटेल इंवेस्टर्स ने अपने कैटेगरी में 38 प्रतिशत ही सब्सक्राइब किया है। इसका सीधा मतलब ये हुआ कि हुंडई के आईपीओ को कर्मचारियों के अलावा किसी भी कैटेगरी के निवेशकों से कोई भाव नहीं मिल रहा है।

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पूरी तरह से ओएफएस बेस्ड है ये आईपीओ

बताते चलें कि दक्षिण कोरियाई कंपनी की भारतीय यूनिट ने अपने इस आईपीओ के तहत प्रत्येक शेयर के लिए 1865-1960 रुपये का प्राइस बैंड तय किया था। ये आईपीओ पूरी तरह से ओएफएस बेस्ड हैं, जिसमें कंपनी के प्रोमोटर ही अपनी हिस्सेदारी बेच रहे हैं। इस आईपीओ में कोई फ्रेश शेयर नहीं जारी होंगे। साल 2003 में मारुति सुजुकी के बाद ये किसी ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी का पहला आईपीओ है।
 

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