Edited By jyoti choudhary,Updated: 03 Oct, 2024 05:57 PM
भारतीय शेयर बाजार के साथ अन्य एशियाई बाजारों में भी गिरावट का दौर जारी है, जबकि चीन के बाजार में तेजी देखी जा रही है। बीएसई सेंसेक्स गुरुवार को 1800 अंकों से ज्यादा टूटकर 82,510 अंक पर आ गया। इस गिरावट के बीच निवेशकों के मन में सवाल उठ रहा है कि...
बिजनेस डेस्कः भारतीय शेयर बाजार के साथ अन्य एशियाई बाजारों में भी गिरावट का दौर जारी है, जबकि चीन के बाजार में तेजी देखी जा रही है। बीएसई सेंसेक्स गुरुवार को 1800 अंकों से ज्यादा टूटकर 82,510 अंक पर आ गया। इस गिरावट के बीच निवेशकों के मन में सवाल उठ रहा है कि क्या विदेशी निवेशकों का भारत और अन्य एशियाई बाजारों से रुझान कम हो रहा है, क्योंकि चीन के बाजार में विदेशी निवेश बढ़ रहा है। भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों का चीन की ओर रुझान बढ़ना भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है। आइए जानते हैं, क्या हो रहा है चीन के बाजार में और इसका असर बाकी एशिया पर क्या हो सकता है।
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चीन में बढ़ता विदेशी निवेश
चीन के शेयर बाजार में लौटी तेजी की वजह से अब यह एक बार फिर से ग्लोबल पोर्टफोलियो का अहम ठिकाना बन सकता है। दरअसल, निवेशक चीन के बाजार में तेजी की वजह से वहां निवेश कर रहे हैं। बाजार पर नजर रखने वाले जानकारों के मुताबिक, चीन के शेयर बाजार से जो पैसा जापान और दक्षिणपूर्व एशिया के बाजारों में गया था, वह अब फिर से चीन में वापस लौट रहा है।
चीन के बाजार में तेजी के कारण
पिछले हफ्ते दक्षिण कोरिया, इंडोनेशिया, मलेशिया और थाईलैंड के बाजारों से विदेशी निवेशकों का पैसा निकल गया, जबकि जापान से भी सितंबर के पहले तीन हफ्तों में 20 अरब डॉलर से अधिक की निकासी हुई। विशेषज्ञों का कहना है कि निवेशक अब बेहतर रिटर्न के लिए चीन की ओर रुख कर रहे हैं, जो इस साल अधिकांश समय धीमा था। MSCI चीन इंडेक्स अपने निचले स्तर से 30% से अधिक बढ़ चुका है। चीन की सरकार ने हाल ही में ग्रोथ को बढ़ावा देने के लिए कई उपायों की घोषणा की है, जिससे बाजार में नई ऊर्जा आई है।
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चीन में निवेश की गुंजाइश
EPFR के डेटा के अनुसार, अगस्त तक दुनिया के म्यूचुअल फंड्स ने अपने पोर्टफोलियो का मात्र 5% हिस्सा चाइनीज इक्विटी में रखा है, जो पिछले एक दशक का न्यूनतम स्तर है। इससे साफ है कि चीन में निवेश बढ़ाने की काफी गुंजाइश है। BNP पारिबा के विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ विदेशी निवेशक जापान में अपनी होल्डिंग्स घटाकर चीन में पुनर्निवेश कर रहे हैं।
भारत के लिए चिंता की बात
भारतीय बाजारों से विदेशी निवेशकों का चीन की ओर रुझान बढ़ना भारत के लिए चिंता का विषय हो सकता है। भारत और चीन के बीच वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा बढ़ रही है, खासकर मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में, जिसे मोदी सरकार ने ‘मेक इन इंडिया’ के तहत बढ़ावा दिया है। देसी-विदेशी निवेशकों ने भारत की इन नीतियों में विश्वास जताया है, लेकिन अब यह देखना होगा कि विदेशी निवेशकों का यह झुकाव लंबे समय तक चीन की ओर बना रहेगा या नहीं।