जन-धन योजना वित्तीय समावेशन की दिशा में बड़ा कदमः सीतारमण

Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Aug, 2022 05:44 PM

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि वित्तीय समावेशन समावेशी वृद्धि की तरफ बढ़ने वाला एक बड़ा कदम है जिससे समाज के सभी वंचित तबकों का समग्र आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जा सकता है। सीतारमण ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना

नई दिल्लीः वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि वित्तीय समावेशन समावेशी वृद्धि की तरफ बढ़ने वाला एक बड़ा कदम है जिससे समाज के सभी वंचित तबकों का समग्र आर्थिक विकास सुनिश्चित किया जा सकता है। सीतारमण ने प्रधानमंत्री जन-धन योजना (पीएमजेडीवाई) के आठ साल पूरे होने के मौके पर जारी एक आधिकारिक बयान में कहा कि बैंकिंग सेवा के दायरे से बाहर मौजूद लोगों को वित्तीय व्यवस्था का अंग बनाकर वित्तीय समावेशन की दिशा में कदम बढ़ाए गए हैं। 

पीएमजेडीवाई की शुरुआत 28 अगस्त, 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहल पर हुई थी। इस योजना के तहत 46 करोड़ से अधिक बैंक खाते खोले जा चुके हैं जिनमें 1.74 लाख करोड़ रुपए जमा हैं। सीतारमण ने कहा कि इस योजना की मदद से देश की 67 प्रतिशत ग्रामीण आबादी की पहुंच अब बैंकिंग सेवाओं तक हो चुकी है। इसके अलावा अब 56 प्रतिशत महिलाओं के पास भी जन-धन खाते हैं। वित्त मंत्री ने बयान में कहा, ‘‘पीएमजेडीवाई को 2018 के बाद भी जारी रखने का फैसला देश में वित्तीय समावेशन के उभरते परिदृश्य की जरूरतों और चुनौतियों का सामना करने की मंशा से प्रेरित था।'' 

उन्होंने कहा, ‘‘अब हर परिवार के बजाय हर वयस्क के पास बैंक खाता होने को तवज्जो दी गई है। जन धन खातों के जरिए लोगों के पास सीधे सरकारी पैसा भेजने और रुपे कार्ड के इस्तेमाल से डिजिटल भुगतान को प्रोत्साहन देने का तरीका अपनाया गया है।'' उन्होंने यह भी कहा कि लोगों के जन-धन खातों को उनकी सहमति लेकर आधार नंबर और मोबाइल नंबर से जोड़ने की व्यवस्था (जेएएम) ने विभिन्न सरकारी कल्याण योजनाओं के लाभार्थियों को सीधे पैसे भेज पाना सुविधाजनक हो गया है। 

सीतारमण ने कहा कि वित्तीय समावेशन के लिए बनाई गई यह व्यवस्था कोविड-19 महामारी के समय जरूरतमंद लोगों तक फौरन मदद पहुंचाने में काफी कारगर साबित हुई। इस मौके पर वित्त राज्यमंत्री भागवत कराड ने कहा कि जन-धन योजना न सिर्फ भारत बल्कि दुनियाभर में वित्तीय समावेशन की दिशा में उठाई गई एक दूरगामी पहल है। उन्होंने कहा कि इसकी वजह से गरीब एवं वंचित लोगों को अब साहूकारों के चंगुल में नहीं फंसना पड़ता है।

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