Edited By jyoti choudhary,Updated: 10 Oct, 2024 04:35 PM
रतन टाटा, जिन्हें हंबल बिजनेस टायकून के रूप में जाना जाता था, दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक थे। वे 6 महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में कारोबार कर रहीं 30 कंपनियों का संचालन करते थे लेकिन इसके बावजूद कभी भी दुनिया के शीर्ष...
बिजनेस डेस्कः रतन टाटा, जिन्हें हंबल बिजनेस टायकून के रूप में जाना जाता था, दुनिया के सबसे प्रभावशाली उद्योगपतियों में से एक थे। वे 6 महाद्वीपों के 100 से अधिक देशों में कारोबार कर रहीं 30 कंपनियों का संचालन करते थे लेकिन इसके बावजूद कभी भी दुनिया के शीर्ष अरबपतियों की सूची में उनका नाम नहीं दिखाई दिया। इसका मुख्य कारण टाटा ट्रस्ट के माध्यम से उनके परिवार द्वारा बड़े पैमाने पर किया गया परोपकारी कार्य माना जाता है।
जमशेदजी टाटा द्वारा बनाए गए परोपकार के नियम
टाटा परिवार का स्वभाव अपने ही कारोबार में बड़ी हिस्सेदारी नहीं लेने का रहा है। यह परंपरा जमशेदजी टाटा के समय से चली आ रही है, जिन्होंने टाटा संस के मुनाफे का बड़ा हिस्सा टाटा ट्रस्ट को दान करने का सिद्धांत बनाया। इस प्रकार टाटा परिवार परोपकार के कार्यों में बिल गेट्स और अन्य वैश्विक परोपकारियों से भी पहले से अग्रणी रहा है।
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मजदूरों के साथ काम करने से सीखी विनम्रता
रतन टाटा ने अपना करियर टाटा समूह में एक साधारण अप्रेंटिस के रूप में शुरू किया था, जहां वे ब्लास्ट फर्नेस के पास दुकान के फर्श पर मजदूरों के साथ काम करते थे। इस अनुभव ने उन्हें जीवनभर के लिए विनम्रता और अनुशासन सिखाया। वे अक्सर कहा करते थे कि यह शुरुआती अनुभव उनके लिए बेहद सार्थक था।
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1991 में टाटा समूह का कार्यभार संभाला
रतन टाटा ने 1991 में टाटा समूह का कार्यभार संभाला, जब भारत सरकार ने आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत की थी। उनके नेतृत्व में टाटा समूह ने न सिर्फ घरेलू स्तर पर, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी पहचान बनाई। उनके कार्यकाल में टाटा ने जैगुआर और लैंड रोवर जैसे प्रतिष्ठित ब्रिटिश ब्रांडों का अधिग्रहण किया और टाटा समूह को एक वैश्विक व्यवसायिक समूह के रूप में स्थापित किया।
रतन टाटा का बुधवार, 9 अक्टूबर 2024 को 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनका जीवन और विरासत भारतीय उद्योग जगत के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।