Edited By jyoti choudhary,Updated: 05 Apr, 2025 12:10 PM
अमेरिका की हालिया ट्रेड रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को लेकर भारत की सरकारी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। United States Trade Representative (USTR) द्वारा जारी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सरकारी स्वामित्व...
बिजनेस डेस्कः अमेरिका की हालिया ट्रेड रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को लेकर भारत की सरकारी बीमा कंपनी भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) ने पहली बार अपनी चुप्पी तोड़ी है। United States Trade Representative (USTR) द्वारा जारी रिपोर्ट में दावा किया गया था कि सरकारी स्वामित्व की वजह से LIC को निजी बीमा कंपनियों की तुलना में विशेष फायदे मिलते हैं। अब LIC ने इन आरोपों को "अधूरी और एकतरफा जानकारी पर आधारित" बताते हुए स्पष्ट किया है कि वह पूरी तरह से खुले और प्रतिस्पर्धी बाजार में काम करती है और उसे किसी भी तरह की कोई अतिरिक्त सहूलियत नहीं मिलती।
LIC ने इन आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उसने कभी भी पॉलिसी पर मिलने वाली सरकार की गारंटी का उपयोग न तो विज्ञापन के रूप में किया है और न ही इससे कोई विशेष लाभ उठाया है।
ओपन मार्केट में प्रतिस्पर्धा और समान नियम
LIC का कहना है कि वह भारत की 24 निजी बीमा कंपनियों के साथ एक खुले प्रतिस्पर्धी बाजार में काम कर रही है, जहां उसे किसी तरह का विशेष दर्जा नहीं दिया जाता। कंपनी ने स्पष्ट किया कि वह भी उन्हीं नियमों और रेगुलेशनों का पालन करती है जो अन्य कंपनियों पर लागू होते हैं। LIC का संचालन IRDAI (बीमा नियामक और विकास प्राधिकरण) और SEBI की निगरानी में होता है।
USTR के आरोप: सरकारी गारंटी और कम सख्त निगरानी
USTR की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में सरकारी बीमा कंपनियों को निजी कंपनियों की तुलना में ज्यादा सहूलियतें मिलती हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि LIC को हर पॉलिसी पर सरकारी गारंटी मिलती है, जिससे ग्राहक निजी कंपनियों के बजाय LIC को प्राथमिकता देते हैं।
LIC ने इन दावों को "आधारहीन और अधूरी जानकारी पर आधारित" बताया है। कंपनी ने कहा कि 1956 में इसकी स्थापना के समय जो सरकारी गारंटी दी गई थी, उसका उद्देश्य जनता में विश्वास पैदा करना था, और वह अब तक कभी इस्तेमाल नहीं हुई है।
69 वर्षों की सेवा और 30 करोड़ ग्राहक
LIC ने यह भी कहा कि उसकी सफलता का श्रेय सिर्फ सरकार को नहीं बल्कि पॉलिसीहोल्डर्स के भरोसे, पारदर्शिता और बेहतर सेवा गुणवत्ता को जाता है। कंपनी ने अब तक 30 करोड़ से अधिक ग्राहकों को सेवाएं दी हैं और आज भी उसका एक बड़ा मार्केट शेयर बना हुआ है। LIC के पास अकेले 1.4 मिलियन एजेंट हैं, जबकि अन्य सभी 24 प्राइवेट कंपनियों को मिलाकर कुल एजेंट्स की संख्या 1.61 मिलियन है।
रीइंशोरेंस सेक्टर पर भी सवाल
USTR रिपोर्ट में भारत की रीइंशोरेंस व्यवस्था को भी आलोचना का विषय बनाया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, भारत में विदेशी रीइंशोरेंस कंपनियों को बराबरी का मौका नहीं मिलता, क्योंकि स्थानीय कंपनियों को 'फर्स्ट राइट ऑफ रिफ्यूजल' जैसे लाभ दिए जाते हैं।
भारत की इकलौती सरकारी रीइंश्योरेंस कंपनी GIC Re को 2001 में 'नेशनल रीइंश्योरर' का दर्जा दिया गया और उसे ऑब्लिगेटरी सेशन और पहले प्रस्ताव का अधिकार जैसी व्यवस्थाओं का लाभ मिलता है। भारत में फिलहाल 13 विदेशी रीइंशोरेंस कंपनियां जैसे Munich Re, Swiss Re और Lloyd’s सक्रिय हैं।