Edited By jyoti choudhary,Updated: 24 Jul, 2024 03:24 PM
आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने बुधवार को कहा कि आयकर की कम दर और छूट दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। जो लोग कर की कम दर चाहते हैं, उनके लिए नई व्यवस्था उपयुक्त है, जबकि छूट पुरानी व्यवस्था में ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि बजट में अच्छे...
नई दिल्लीः आर्थिक मामलों के विभाग के सचिव अजय सेठ ने बुधवार को कहा कि आयकर की कम दर और छूट दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। जो लोग कर की कम दर चाहते हैं, उनके लिए नई व्यवस्था उपयुक्त है, जबकि छूट पुरानी व्यवस्था में ज्यादा है। उन्होंने यह भी कहा कि बजट में अच्छे वेतन वाली नौकरियां बढ़ाने पर ध्यान दिया गया है। सरकार का मकसद युवाओं को उनकी प्रतिभा के अनुसार प्रशिक्षण देकर बाजार के हिसाब से रोजगार के लिए तैयार करना है।
बजट को लेकर सेठ ने विशेष बातचीत में कहा, ‘‘आयकर की कम दर और छूट दोनों साथ-साथ नहीं चल सकते। जो लोग कर की कम दर चाहते हैं, उनके लिए नई व्यवस्था उपयुक्त है जबकि छूट पुरानी कर व्यवस्था में ज्यादा है।''
उल्लेखनीय है कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को पेश बजट में नई कर व्यवस्था में मानक कटौती (स्टैंडर्ड डिडक्शन) को 50,000 रुपए से बढ़ाकर 75,000 रुपए करने और कर स्लैब में बदलाव का प्रस्ताव किया। बजट में किए गए बदलावों से नई कर व्यवस्था अपनाने वाले कर्मचारियों को 17,500 रुपए तक की कर बचत हो सकती है। उन्होंने कहा कि कुल करदाताओं में से दो-तिहाई यानी लगभग 68 प्रतिशत नई कर व्यवस्था में आ गए हैं, अन्य पुरानी कर व्यवस्था में है। यह पूछे जाने पर कि क्या पुरानी कर व्यवस्था को छोड़ने की तैयारी है, सेठ ने कहा, ‘‘हम किसी को नहीं छोड़ रहे। करदाताओं को जो व्यवस्था अनुकूल लगती है, वे उसे अपना सकते हैं।''
बजट में युवाओं के लिए किए गए उपायों के बारे में सचिव ने कहा, ‘‘यह बजट रोजगार बढ़ाने वाला है। हमारा प्रयास है कि युवाओं को प्रशिक्षण मिले। वे बाजार की जरूरत के अनुसार तैयार हों और उन्हें अच्छे वेतन वाली नौकरियां मिले।'' यह पूछे जाने पर कि क्या शिक्षा व्यवस्था में सुधार किये बिना अच्छी नौकरियां सृजित होंगी, उन्होंने कहा, ‘‘इन उपायों से यह सुनिश्चित करना है कि जो भी युवा एक स्तर तक पहुंच गया है, उसे उसकी प्रतिभा के अनुसार प्रशिक्षण देकर रोजगार के लिए तैयार किया जाए।'' बजट में 4.1 करोड़ युवाओं के लिए रोजगार, कौशल विकास और अन्य अवसर उपलब्ध कराने की योजनाओं और उपायों के लिए पांच साल की अवधि में दो लाख करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
पूंजी लाभ कर में बदलाव के बारे में पूछे जाने पर सेठ ने कहा, ‘‘काफी समय से यह सोच रही है कि कर प्रणाली को सरल बनाया जाए। अलग-अलग तरह के निवेश हैं। कुछ लोग सोने में निवेश करते हैं, कुछ इक्विटी शेयर में।'' उन्होंने कहा, ‘‘इक्विटी में अलग कर, सूचीबद्ध संपत्ति में अलग और गैर सूचीबद्ध में अलग कर, यह ठीक नहीं है। कर को लेकर सभी संपत्ति वर्ग में एक जैसा व्यवहार होना चाहिए। बजट में उसे दुरुस्त किया गया है। साथ ही ‘इंडेक्सेशन' भी हटाया गया है। इससे पारदर्शिता भी आती है।'' बजट में प्रस्तावित बदलावों के मुताबिक, सूचीबद्ध शेयर, इक्विटी से जुड़े म्यूचुअल फंड और एक व्यावसायिक ट्रस्ट की इकाइयों पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर (एसटीसीजी) को 15 प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत कर दिया गया है। प्रतिभूतियों पर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर (एलटीसीजी) को 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव किया गया है।
निवेशकों को सालाना 1.25 लाख रुपए तक के दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर कर से छूट दी जाएगी, जो वर्तमान में एक लाख रुपये है। हालांकि, सूचीबद्ध बॉन्ड एवं डिबेंचर के मामले में दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ कर को 20 प्रतिशत से घटाकर 12.5 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया है। इन पर अल्पकालिक पूंजीगत लाभ कर की दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। वहीं गैर-सूचीबद्ध बॉन्ड एवं डिबेंचर के मामले में एलटीसीजी को वर्तमान में 20 प्रतिशत की एकसमान दर के मुकाबले लागू होने वाली स्लैब दरों के आधार पर लगाया जाएगा। इस मामले में भी एसटीसीजी दर अपरिवर्तित बनी हुई है।
एक अन्य सवाल के जवाब में सेठ ने कहा, ‘‘एसटीटी (प्रतिभूति लेनदेन कर) में वृद्धि एक संकेत है। नकदी और डेरिवेटिव (वायदा एवं विकल्प) बाजार में संतुलन के लिए यह कदम उठाया गया है...।'' इससे पहले, आर्थिक समीक्षा में वायदा-विकल्प कारोबार में खुदरा निवेशकों की बढ़ती रुचि पर चिंता जतायी गई थी। प्रतिभूतियों में विकल्प की बिक्री पर एसटीटी की दर को विकल्प प्रीमियम के 0.0625 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.1 प्रतिशत करने और प्रतिभूतियों में वायदा की बिक्री पर एसटीटी की दर को ऐसे वायदा कारोबार की कीमत के 0.0125 प्रतिशत से बढ़ाकर 0.02 प्रतिशत करने का प्रस्ताव है।