Edited By rajesh kumar,Updated: 17 Sep, 2020 03:25 PM
यूरोप की Maglev ट्रेन जल्द भारत में दौड़ती हुई नजर आने वाली है। सरकारी इंजीनियरिंग कंपनी बीएचईएल ने Maglev ट्रेन को भारत लाने के लिए स्विटरजलैंड की कंपनी SwissRapide AG के साथ समझौता किया है।
नई दिल्ली: यूरोप की मैगलेव ट्रेन जल्द भारत में दौड़ती हुई नजर आने वाली है। सरकारी इंजीनियरिंग कंपनी बीएचईएल ने Maglev ट्रेन को भारत लाने के लिए स्विटरजलैंड की कंपनी SwissRapide AG के साथ समझौता किया है। बीएचईएल ने बुधवार को जानकारी देते हुए बताया कि कंपनी कई क्षेत्रों में अपना कारोबार फैलाना चाहती है और अर्बन ट्रांसपोर्टेशन सेक्टर भी उनमें शामिल है।
रेलगाड़ी पटरी पर दौड़ने की बजाए हवा में..
मैगलेव रेलगाड़ी प्रणाली में रेलगाड़ी पटरी पर दौड़ने की बजाए हवा में रहती है। इसकी वजह ट्रेन को चुंबकीय क्षेत्र प्रभाव से नियंत्रित करना होता है, इसलिए उसका पटरी से कोई सीधा संपर्क नहीं होता। यह बड़ी आसानी से 500 किमी प्रति घंटे की रफ्तार पकड़ लेती है। इस तरह यह धीरे-धीरे रेलगाड़ी प्रणाली की कुल लागत को कम करती है। भेल ने कहा कि यह समझौता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत अभियान को ध्यान में रखकर किया गया है। यह समझौता भेल को इस विश्वस्तरीय प्रौद्योगिकी को भारत में लाने, उसका स्वदेशी विनिर्माण करने में सक्षम बनाएगी।
जानें समझौते के बारे में
समझौते के अनुसार दोनों कंपनियां एक दूसरे को बिजनेस बढ़ाने में मदद करेंगी। स्विसराइड एजी को मैगलेव रेल परियोजना में विशेषज्ञता शामिल है। भेल पिछले पांच दशकों से भारतीय रेलवे का भरोसेमंद भागीदार है। यह रेलवे को इलेक्ट्रिक के साथ ही साथ डीजल इंजन उपलब्ध कराता है। इसके अलावा भेल रेलवे को ईएमयू और प्रोपल्शन सिस्टम सेट भी उपलब्ध कराता है। भारत में कोलकाता मेट्रो ऐसी पहली मेट्रो है, जिसमें भेल का प्रोपल्शन सिस्टम लगाया गया है।