Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Jan, 2025 06:09 PM
प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आगाज हो चुका है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों की तादाद में साधु-संत व श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा है। महाकुंभ का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व होने के साथ ही इसका देश की इकोनॉमी पर भी तगड़ा असर पड़ता है। महाकुंभ में जहां...
बिजनेस डेस्कः प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आगाज हो चुका है, जिसमें देश-विदेश से करोड़ों की तादाद में साधु-संत व श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगा है। महाकुंभ का आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व होने के साथ ही इसका देश की इकोनॉमी पर भी तगड़ा असर पड़ता है। महाकुंभ में जहां लोग आस्था की डुबकी लगाते हैं वहीं यह महाकुंभ अर्थव्यवस्था को बूस्ट देगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल महाकुंभ मेले से 4 लाख करोड़ से अधिक की कमाई हो सकती है।
45 दिनों तक चलने वाले इस महापर्व में संगम किनारे 40 करोड़ से अधिक लोगों के जुटने की उम्मीद है। महाकुंभ के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार ने 7,000 करोड़ रुपए का बजट आबंटित किया है। करीब 4,000 हैक्टेयर में आयोजित इस महापर्व का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के दिन होगा।
अनुमान लगाया जा रहा है कि इस साल आयोजित हुए महाकुंभ से उत्तर प्रदेश की इकोनॉमी में 2 लाख करोड़ रुपए जुड़ सकते हैं। अनुमानित तौर पर यहां जुटने वाले 40 करोड़ लोग औसतन 5,000 रुपए खर्च करते हैं। इससे प्रदेश सरकार को 2 लाख करोड़ रुपए की कमाई होगी।
देश की GDP भी बढ़ेगी
सूत्रों के अनुसार, इस साल महाकुंभ के मेले में प्रति व्यक्ति औसत खर्च 10,000 रुपए तक भी पहुंच सकता है, ऐसे में 2 लाख करोड़ का आंकड़ा 4 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। इससे नॉमिनल के साथ-साथ रियल GDP में भी 1 परसेंट तक की बढोतरी की उम्मीद है।
2019 के अर्धकुंभ में हुआ था इतना मुनाफा
सीएम योगी आदित्यनाथ भी कह चुके हैं कि 2019 में प्रयागराज में हुए अर्धकुंभ मेले से उत्तर प्रदेश की इकोनॉमी में 1.2 लाख करोड़ रुपए जुड़े थे, उस दौरान लगभग 24 करोड़ श्रद्धालु पहुंचे थे। जबकि इस साल 40 करोड़ श्रद्धालुओं के आने का अनुमान है, जिससे 2 लाख करोड़ रुपए तक कमाई होने की उम्मीद है।
इन सभी चीजों पर लोग करेंगे खर्च
इस साल आस्था का महापर्व इसलिए भी खास है क्योंकि 12 साल के बाद आयोजित हो रहे इस महाकुंभ में 144 साल का अद्भुत संयोग बन रहा है। इसमें सिर्फ देश से ही नहीं, बल्कि रूस, अमेरिका जैसे देशों से भी भक्तों का तांता लगेगा। इस दौरान लोग पैकेज्ड फूड सहित पानी, बिस्किट के अलावा दीपक, तेल, अगरबत्ती, धार्मिक पुस्तकें जैसी कई चीजें खरीदेंगे। इसके अलावा, लॉजिंग व ट्रैवलिंग पर भी खूब खर्च होगा, जिससे प्रदेश के साथ-साथ देश की इकोनॉमी भी रफ्तार पकड़ेगी।