Edited By jyoti choudhary,Updated: 19 Nov, 2024 02:12 PM
ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म HSBC ने भारत पर अपनी रणनीति को लेकर एक नया नोट जारी करते हुए Overweight दृष्टिकोण के साथ सकारात्मक रुख बनाए रखा है। रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अंत तक सेंसेक्स के 90,520 तक पहुंचने की संभावना है, जिससे मौजूदा स्तरों से करीब 15%...
बिजनेस डेस्कः ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म HSBC ने भारत पर अपनी रणनीति को लेकर एक नया नोट जारी करते हुए Overweight दृष्टिकोण के साथ सकारात्मक रुख बनाए रखा है। रिपोर्ट के अनुसार, 2025 के अंत तक सेंसेक्स के 90,520 तक पहुंचने की संभावना है, जिससे मौजूदा स्तरों से करीब 15% की बढ़त हो सकती है। हालांकि HSBC ने पहले इसका लक्ष्य 1,00,080 रखा था। भारत की आर्थिक ग्रोथ भले ही हल्की धीमी पड़ी हो लेकिन यह अब भी मजबूत स्थिति में है। हालांकि, इक्विटी बाजार में कुछ चुनौतियां और जोखिम बने हुए हैं।
मिडकैप-स्मॉलकैप या लार्जकैप
ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि भारत के स्थिर ग्रोथ के बाद भी सबसे ज्यादा प्रति शेयर आय (EPS) ग्रोथ ज्यादा स्मॉलकैप और मिडकैप स्टॉक्स में देखने को मिल रहा है। ब्रॉडर मार्केट की इन कंपनियों में 30% की रफ्तार से ग्रोथ की उम्मीद है। इसके उलट लार्जकैप स्टॉक्स के लिए यह ग्रोथ दर 12% पर रहने का अनुमान है। लार्जकैप स्टॉक्स में ही विदेशी संस्थागत निवेशकों का सबसे ज्यादा रुझान होता है, जिसमें अब सुस्त ग्रोथ देखने को मिल रही है।
किन 2 स्टॉक्स पर सबसे ज्यादा भरोसा?
ब्रोकरेज फर्म के एनालिस्टों का मानना है कि सु्स्ती के बाद भी भारत दुनिया की सबसे तेज ग्रोथ वाली अर्थव्यवस्था बना हुआ है। इस नोट में 2025 के लिए एशिया में सबसे पसंदीदा स्टॉक्स की लिस्ट भी जारी हुई। इस लिस्ट में भारत के केवल दो स्टॉक्स - Axis Bank और KIMS ही शामिल हैं।
इस नोट में कहा गया कि KIMS को भारत में कैपेक्स अपसाइकल और हेल्थकेयर सर्विसेज में बढ़ते डिमांड से फायदा मिलने की उम्मीद है। Axis Bank का वैल्युएशन आकर्षक नजर आ रहा है। कंपनी देश के फाइनेंशियल सेक्टर में निवेश के लिए मजबूत विकल्प के तौर पर उभर रही है।
इक्विटी मार्केट के लिए क्या हो जोखिम?
दुनिया में सबसे तेज ग्रोथ वाली अर्थव्यवस्था होने के बाद भी भारतीय बाजार को लेकर कुछ जोखिम भी है। नोट में कहा गया कि ऊंचे अर्निंग्स मल्टीपल एक जोखिम साबित हो सकता है। अगर अर्निंग्स ग्रोथ पर आगे भी दबाव बनता है तो निवेशक अपनी पोजिशन का दोबारा आंकलन करेंगे। छोटी अवधि में इक्विटी मार्केट को लेकर रिस्क से बाजार के प्रदर्शन पर असर देखने को मिल सकता है लेकिन लंबी अवधि के लिहाज से नजरिया पॉजिटिव बना हुआ है।