Edited By jyoti choudhary,Updated: 25 Oct, 2024 03:13 PM
हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार (25 अक्टूबर) को घरेलू शेयर बाजार में भारी गिरावट दिख रही है। बीएसई सेंसेक्स में 900 से अधिक अंकों की गिरावट आई जबकि निफ्टी 24,096 अंक पर कारोबार कर रहा है। दूसरी तिमाही की आय में सुस्ती और लगातार विदेशी निकासी के...
बिजनेस डेस्कः हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार (25 अक्टूबर) को घरेलू शेयर बाजार में भारी गिरावट दिख रही है। बीएसई सेंसेक्स में 900 से अधिक अंकों की गिरावट आई जबकि निफ्टी 24,096 अंक पर कारोबार कर रहा है। दूसरी तिमाही की आय में सुस्ती और लगातार विदेशी निकासी के बीच बाजार में गिरावट आई है। इंडसइंड बैंक और सरकारी बिजली कंपनी एनटीपीसी के दूसरी तिमाही के निराशाजनक नतीजों ने बाजार को प्रभावित किया। इस गिरावट के कारण बीएसई पर लिस्टेड सभी कंपनियों का मार्केट कैप में गिरावट आई और निवेशकों ने 9 लाख करोड़ रुपए गंवा दिए। शेयर बाजार में गिरावट के मुख्य कारण....
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1. इंडसइंड बैंक का शेयर 20% टूटा
इंडसइंड बैंक के शेयरों में कारोबार के दौरान करीब 20% तक गिरावट आई। 12 बजे यह 19.34% की गिरावट के साथ 1031.60 अंक पर ट्रेड कर रहा था। कंपनी का दूसरी तिमाही में नेट प्रॉफिट में 39 फीसदी गिरावट आई है। इस दौरान बैंक का नेट प्रॉफिट 1,325 करोड़ रुपए रह गया जो पिछले साल की समान तिमाही में 2,181.47 करोड़ रुपए था। इंडसइंड बैंक के अलावा महिंद्रा एंड महिंद्रा, लार्सन एंड टुब्रो, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एचडीएफसी बैंक, एसबीआई और एनटीपीसी में भी गिरावट रही। सेक्टोरल फ्रंट पर निफ्टी ऑटो, बैंक, मेटल, पीएसयू बैंक, रियल्टी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स में 2% से 3.6% की गिरावट आई।
सेंट्रल बैंक, PNB और कैनरा बैंक के शेयर 5% नीचे
सरकारी बैंकों के शेयरों का इंडेक्स सबसे ज्यादा 3.34% गिरा है। सेंट्रल बैंक, पीएनबी और कैनरा बैंक के शेयरों में 5% की गिरावट है। मेटल और ऑटो इंडेक्स में भी करीब 3% की गिरावट है। रियल्टी और मेटल इंडेक्स करीब 2.5% नीचे हैं।
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2. हाई बांड यील्ड और मजबूत डॉलर
इसके अलावा, पिछले सत्र में चार बेसिक प्वाइंट्स की गिरावट के बाद शुक्रवार को 10 साल वाला ट्रेजरी यील्ड 4.1918% पर आ गया। हालांकि, यह 4% से ऊपर बना हुआ है, जिसने बुधवार को तीन महीने के हाई लेवल 4.26% को छुआ था। इस बीच, छह प्रमुख बराबर की करेंसी के मुकाबले डॉलर इंडेक्स बुधवार के तीन महीने के हाई लेवल 104.57 से पीछे हटने के बाद 104.06 पर थोड़ा बदला। इस सप्ताह में यह 0.56% बढ़ा है।
3. विदेशी निवेशकों की बिकवाली
शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक विदेशी संस्थागत निवेशक (FIIs) अंधाधुंध होकर लगातार शेयर बेच रहे हैं, जिसने बाजार के मूड को सबसे ज्यादा खराब किया हुआ है। FIIs ने 24 अक्टूबर को शुद्ध रूप से 5,062 करोड़ रुपए के शेयर बेचे। इस महीने अब तक उनमें हर दिन शेयर बेचे हैं और अब तक कुल 1 लाख करोड़ रुपए की बिकवाली कर चुके है। शेयर बाजार के इतिहास में पहली बार FIIs ने किसी एक महीने में इतनी बड़ी बिकवाली की है। इस बिकवाली के पीछे भी कई कारण है। इसमें चीन की ओर से किए गए हालिया आर्थिक ऐलान और मिडिल ईस्ट में तनाव आदि शामिल है। FII की इस भारी बिकवाली ने दलाल स्ट्रीट को चिंता में डाल दिया है और निवेशक शॉर्ट-टर्म में गिरावट की आशंका से चिंतिंत दिख रहे हैं।
4. अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव को लेकर अनिश्चतता
अमेरिकी राष्ट्रपति पद चुनाव के नतीजों को लेकर अनिश्चतता बनी हुई है। स्विंग राज्यों में डोनाल्ड ट्रम्प और कमला हैरिस के बीच उम्मीद से अधिक कड़ी टक्कर दिखाई दे रही है। निवेशक अमेरिकी चुनावों से पहले बाजार में संभावित अस्थिरता के लिए तैयार हो रहे हैं, जिसका असर भारतीय बाजार पर भी देखने को मिल रहा है। इसके अलावा अमेरिकी ट्रेजरी यील्ड में भी इस हफ्ते में बढ़ोतरी हुई, जिसे एशियाई बाजारों के नकरात्मक माना जाता है। साथ ही अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ओर से ब्याज दरों में और कटौती की उम्मीद भी अब कम होती दिख रही है।
5. FMCG सेक्टर पर दबाव
शेयर बाजार में उथल-पुथल के दौरान आमतौर पर FMCG शेयरों की मांग बढ़ जाती है क्योंकि इन्हें निवेश के लिहाज से काफी सेफ सेक्टर माना जाता है। हालांकि इस बिकवाली में FMCG सेक्टर भी दबाव में आ गए हैं। सेक्टर को बढ़ती इनपुट लागतों से जूझना पड़ रहा है, खासकर एग्रीकल्चर कमोडिटी में, जिसका असर उनके प्रॉफिट मार्जिन पर पड़ा है। एक्सपर्स्ट ने निवेशकों को स्मॉलकैप शेयरों पर बहुत अधिक फोकस नहीं करने की सलाह दी है, इसके बजाय उन्हें पोर्टफोलियो को संतुलित करने का सुझाव दिया है।