मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल में मिडल क्लास को राहत, इतना घट गया Tax का बोझ

Edited By jyoti choudhary,Updated: 14 Nov, 2024 04:54 PM

middle class got relief during 10 years of modi government

मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल के दौरान मध्यम वर्ग यानी 20 लाख रुपए सालाना से कम आय वाले व्यक्तियों पर कर का बोझ घटा है। वहीं दूसरी तरफ 50 लाख रुपए से ऊपर की सालाना आय वाले लोगों द्वारा भुगतान किए जाने वाले करों में अच्छी-खासी वृद्धि हुई है।...

बिजनेस डेस्कः मोदी सरकार के 10 साल के कार्यकाल के दौरान मध्यम वर्ग यानी 20 लाख रुपए सालाना से कम आय वाले व्यक्तियों पर कर का बोझ घटा है। वहीं दूसरी तरफ 50 लाख रुपए से ऊपर की सालाना आय वाले लोगों द्वारा भुगतान किए जाने वाले करों में अच्छी-खासी वृद्धि हुई है। फाइनैंस मिनिस्ट्री के एक वरिष्ठ अधिकारी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि मोदी शासन में मिडल क्लास पर ज्यादा टैक्स लगने की बात सही नहीं है।

दाखिल किए गए आयकर रिटर्न (आईटीआर) के आंकड़ों के अनुसार, 50 लाख रुपए से अधिक की वार्षिक आय दिखाने वाले व्यक्तियों की संख्या 2023-24 में बढ़कर 9.39 लाख से अधिक हो गई जो 2013-14 में 1.85 लाख थी। साथ ही 50 लाख रुपए से अधिक कमाने वालों की आयकर देनदारी 3.2 गुना बढ़कर 2024 में 9.62 लाख करोड़ रुपए हो गई है, जो 2014 में 2.52 लाख करोड़ रुपए थी।  

50 लाख रुपए कमाने वाले तेजी से बढ़े

सूत्र ने कहा कि आयकर का 76 प्रतिशत हिस्सा सालाना 50 लाख रुपए से अधिक कमाने वालों से आता है। कुल मिलाकर इससे मध्यम वर्ग पर कर का बोझ कम हुआ है। आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले 50 लाख रुपए से अधिक की वार्षिक आय वाले व्यक्तियों की संख्या बढ़ी है। इसका कारण ‘मोदी सरकार की कर चोरी रोकने और काले धन पर लगाम लगाने के लिए संबंधित अधिनियमों को कड़ाई से लागू करना है।’ 

इनपर घट गया टैक्स का बोझ 

सूत्र ने कहा कि 2014 में दो लाख रुपए सालाना से अधिक कमाने वाले व्यक्तियों को आयकर देना पड़ता था। हालांकि, मोदी सरकार में घोषित विभिन्न छूटों और कटौतियों के कारण अब सात लाख रुपए तक की आय वाले व्यक्तियों को कोई कर नहीं देना पड़ता है। दस लाख रुपए से कम आय वाले करदाताओं से आयकर संग्रह का प्रतिशत घटकर 2024 में 6.22 प्रतिशत पर आ गया जो 2014 में 10.17 प्रतिशत था। 

उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम कर 

सूत्र के अनुसार, 2.5 से सात लाख रुपए के बीच कमाने वालों की आयकर देनदारी 2023-24 में औसतन 43,000 रुपए थी। यह उनकी आय का लगभग चार-पांच प्रतिशत है। यह उभरती अर्थव्यवस्थाओं में सबसे कम है। उसने कहा कि आधिकारिक गणना के अनुसार, 10 साल की अवधि में मुद्रास्फीति को समायोजित करने के बाद, 10 से 20 लाख रुपए की आय वालों के लिए कर देनदारी में लगभग 60 प्रतिशत की कमी आई है। इसके साथ व्यक्तिगत स्तर पर दाखिल किये गये आयकर रिटर्न की संख्या 121 प्रतिशत बढ़कर 2023-24 में 7.97 करोड़ हो गई है, जो 2013-14 में 3.60 करोड़ थी। 

 
 

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