Edited By jyoti choudhary,Updated: 02 Jan, 2025 12:46 PM
भारत और एशिया के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी (mukesh ambani) अब तक के सबसे बड़े आईपीओ की तैयारी कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, रिलायंस जियो (Reliance Jio) का आईपीओ जल्द लॉन्च हो सकता है, जिसकी अनुमानित राशि 35,000 से 40,000 करोड़ रुपए होगी।...
बिजनेस डेस्कः भारत और एशिया के सबसे बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी (mukesh ambani) अब तक के सबसे बड़े आईपीओ की तैयारी कर रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, रिलायंस जियो (Reliance Jio) का आईपीओ जल्द लॉन्च हो सकता है, जिसकी अनुमानित राशि 35,000 से 40,000 करोड़ रुपए होगी। सूत्रों के मुताबिक, इस आईपीओ में ऑफर फॉर सेल के साथ-साथ ताजा शेयर भी जारी किए जाएंगे। यह आईपीओ 2025 की दूसरी छमाही में लॉन्च होने की संभावना है। हुंडई मोटर इंडिया पिछले साल 27,870.16 करोड़ रुपए का आईपीओ लाई थी जो देश में अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ है।
सूत्रों के मुताबिक रिलायंस जियो के आईपीओ के लिए प्री-आईपीओ प्लेसमेंट पर शुरुआती बातचीत पहले ही शुरू हो चुकी है। इनवेस्टमेंट बैंकर्स का कहना है कि यह इश्यू बड़ा हो सकता है और इसमें सब्सक्रिप्शन की दिक्कत नहीं होनी चाहिए। प्री-प्लेसमेंट की राशि इस बात पर निर्भर करेगी कि इसमें फ्रेश इश्यू का साइज क्या होगा। ओएफएस और फ्रेश इश्यू का हिस्सा कितना होगा, इस पर अभी फैसला नहीं हुआ है। इस बारे में रिलायंस की ओर से कोई जबाव नहीं आया।
किस-किस की है हिस्सेदारी
सूत्रों का कहना है कि रिलायंस जियो के आईपीओ में ओएफएस कंपोनेंट अहम होगा क्योंकि इससे कई मौजूदा निवेशकों को अपनी हिस्सेदारी बेचने का मौका मिलेगा। कंपनी में विदेशी निवेशकों की 33 फीसदी हिस्सेदारी है। रिलायंस ने साल 2020 में अबू धाबी इनवेस्टमेंट फंड, केकेआर, मुबादला और सिल्वर लेक जैसे विदेशी फंड्स से 18 अरब डॉलर जुटाए थे। कई ब्रोकरेज का कहना है कि रिलायंस जियो की वैल्यूएशन 100 अरब डॉलर हो सकती है लेकिन सूत्रों का कहना है कि कंपनी की नजर 120 अरब डॉलर की वैल्यूएशन पर है।
अंबानी एआई सेक्टर में भी बड़ा दांव खेल रहे हैं। एआई लेंग्वेज मॉडल विकसित करने के लिए जियो प्लेटफॉर्म्स ने हाल ही में एनवीडिया से हाथ मिलाया है। टेक के साथ-साथ एआई पुश से रिलायंस जियो दूसरी स्टार्टअप कंपनियों से आगे निकल सकती है। कंपनी को सैटेलाइट इंटरनेट सर्विसेज शुरू करने के लिए भी रेगुलेटरी मंजूरी मिल गई है। रिलायंस ने अपने टेलीकॉम, इंटरनेट और डिजिटल बिजनेस को मजबूत करने के लिए पिछले पांच साल में अधिग्रहण पर 3 अरब डॉलर खर्च किए हैं।