Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 Aug, 2024 04:02 PM
देश के 42 शहरों में 5.08 लाख इकाइयों के साथ लगभग 2,000 आवासीय परियोजनाएं अटकी हुई हैं। डेटा एनालिटिक्स कंपनी प्रोपइक्विटी के अनुसार, इसका मुख्य कारण डेवलपर्स द्वारा वित्तीय कुप्रबंधन और क्रियान्वयन क्षमताओं की कमी है। प्रोपइक्विटी के आंकड़ों के...
नई दिल्लीः देश के 42 शहरों में 5.08 लाख इकाइयों के साथ लगभग 2,000 आवासीय परियोजनाएं अटकी हुई हैं। डेटा एनालिटिक्स कंपनी प्रोपइक्विटी के अनुसार, इसका मुख्य कारण डेवलपर्स द्वारा वित्तीय कुप्रबंधन और क्रियान्वयन क्षमताओं की कमी है। प्रोपइक्विटी के आंकड़ों के अनुसार, 1,981 आवासीय परियोजनाएं रुकी हुई हैं, जिन में घरों की कुल संख्या 5.08 लाख है। इन रुकी हुई परियोजनाओं में से 1,636 परियोजनाएं 14 पहली श्रेणी के शहरों में हैं, जिनमें 4,31,946 इकाइयां रुकी हैं। जबकि 345 परियोजनाएं 28 दूसरी श्रेणी वाले शहरों में हैं, जिनमें 76,256 इकाईयां हैं।
इसमें यह भी बताया गया कि रुकी हुई इकाइयों की संख्या बढ़कर 5,08,202 हो गई है, जो 2018 में 4,65,555 इकाई थी। प्रॉपइक्विटी के संस्थापक और मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) समीर जसूजा ने कहा, "रुकी हुई परियोजनाओं की समस्या और उसके बाद उनमें वृद्धि, डेवलपर्स की निष्पादन क्षमताओं की कमी, नकदी प्रवाह के कुप्रबंधन और नए भूखंड खरीदने या अन्य कर्ज चुकाने के लिए धन के उपयोग के कारण है।"