Edited By jyoti choudhary,Updated: 07 Oct, 2024 01:44 PM
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भारतीय बाजारों में वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की शुरुआत झटकों के साथ हुई है लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशक, खासकर म्युचुअल फंड, आने वाले समय में बाजार की दिशा को तय कर सकते हैं। हाल के वर्षों में, म्युचुअल फंड ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली...
बिजनेस डेस्कः भारतीय बाजारों में वित्त वर्ष की दूसरी छमाही की शुरुआत झटकों के साथ हुई है लेकिन घरेलू संस्थागत निवेशक, खासकर म्युचुअल फंड, आने वाले समय में बाजार की दिशा को तय कर सकते हैं। हाल के वर्षों में, म्युचुअल फंड ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों की बिकवाली की भरपाई की है, जो वर्तमान में वैश्विक फंडों द्वारा लगभग 30,000 करोड़ रुपए की निकासी के बीच बेंचमार्क सूचकांकों को करीब 5 फीसदी गिरने से रोक रहे हैं।
विशेषज्ञों के अनुसार, म्युचुअल फंडों का सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) में लगातार वृद्धि और विविध निवेश के कारण शेयर बाजार को झटकों से बचाने में मदद मिल रही है। मौजूदा वित्त वर्ष की पहली छमाही में म्युचुअल फंडों का निवेश पिछले वित्त वर्ष के आंकड़े को पहले ही छू चुका है। सितंबर तक, म्युचुअल फंडों ने लगातार 17 महीनों से शुद्ध खरीदार बने रहने के साथ, 2.8 लाख करोड़ रुपये की शुद्ध इक्विटी खरीद की है।
क्वांटम म्युचुअल फंड के मुख्य कार्याधिकारी जिमी पटेल के अनुसार, म्युचुअल फंडों में निवेश के बढ़ने के साथ, हाइब्रिड फंडों में इक्विटी के लिए अधिक निवेश की गुंजाइश है। मोतीलाल ओसवाल फाइनैंशियल सर्विसेज की रिपोर्ट के अनुसार, अग्रणी फंड हाउस के पास बाजार में गिरावट के दौरान निवेश के लिए पर्याप्त नकदी है, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप में भी मजबूत निवेश आया है।
कोटक इंस्टिट्यूशनल इक्विटीज ने कहा है कि म्युचुअल फंड निवेशक मूल्यांकन और अन्य जोखिमों के प्रति अविचलित बने हुए हैं। बाजार ने सभी नकारात्मक खबरों को खारिज कर दिया है, जो आगे चलकर बाजार की दिशा को प्रभावित कर सकता है।