Edited By jyoti choudhary,Updated: 15 Feb, 2025 11:07 AM
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय अनियमितताओं के चलते मुंबई के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं। गुरुवार को जारी आदेश के अनुसार, बैंक अगले छह महीने तक न तो नए लोन जारी कर सकेगा, न ही नई जमा राशि स्वीकार कर पाएगा और ग्राहकों...
बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने वित्तीय अनियमितताओं के चलते मुंबई के न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पर सख्त प्रतिबंध लगा दिए हैं। गुरुवार को जारी आदेश के अनुसार, बैंक अगले छह महीने तक न तो नए लोन जारी कर सकेगा, न ही नई जमा राशि स्वीकार कर पाएगा और ग्राहकों को निकासी की सुविधा भी नहीं मिलेगी। इस फैसले के बाद बैंक की शाखाओं के बाहर भारी भीड़ उमड़ पड़ी, जहां लोग अपने जमा पैसे निकालने के लिए घंटों इंतजार करते नजर आए।
क्यों की गई कार्रवाई?
RBI ने बैंक की खराब आर्थिक हालत को देखते हुए ये पाबंदियां लगाई हैं। केंद्रीय बैंक का कहना है कि ये कदम जमाकर्ताओं की सुरक्षा और वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने के लिए जरूरी था। RBI ने साफ किया है कि बैंक का लाइसेंस रद्द नहीं हुआ है। गौरतलब है कि न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक पिछले कुछ सालों से घाटे में चल रहा है। पिछले साल 30.75 करोड़ रुपए का घाटा होने के बाद, मार्च 2024 में खत्म हुए वित्तीय वर्ष में 22.78 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। 2024 में बैंक का NPA (Non-Performing Assets) 93.57 करोड़ रुपए था।
ग्राहकों के पैसे मिलेंगे?
RBI ने बताया कि जिन जमाकर्ताओं ने पैसे जमा कराए हैं उन्हें डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) से 5 लाख रुपए तक की रकम मिल सकती है। हालांकि, DICGC के नियमों के मुताबिक, इससे अधिक रकम नहीं मिल पाएगी। इसके लिए जमाकर्ताओं को आवेदन करना होगा और सारी जांच-पड़ताल के बाद ही लगभग 90 दिनों के अंदर पैसे मिलेंगे। 5 लाख रुपए से उपर की डिपॉजिट वालों के लिए तब तक अनिश्चित बनी रहती है, जब तक कि RBI प्रतिबंध हटा नहीं देता। हालांकि, आरबीआई की शर्तों के अनुसार, उधारकर्ता बकाया लोन के विरुद्ध जमा राशि सेट करने का अनुरोध कर सकते हैं। एक बड़े बैंकर के मुताबिक, आम बैंक जमाकर्ताओं को अब तक कभी नुकसान नहीं हुआ है और आगे भी नहीं होगा।
क्या की गई कार्रवाई?
शुक्रवार को भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के कमजोर संचालन मानकों को देखते हुए इसके निदेशक मंडल को 12 महीने के लिए भंग कर दिया। बैंक के प्रबंधन की जिम्मेदारी अब एसबीआई के पूर्व मुख्य महाप्रबंधक श्रीकांत को सौंपी गई है, जिन्हें प्रशासक नियुक्त किया गया है।
पहले भी हुआ है ऐसा?
RBI ने पहले भी कई बार बैंकों पर इस तरह के आदेश जारी किए हैं। इससे पहले PMC बैंक और YES बैंक में भी पैसे निकालने पर रोक लगाई गई थी। PMC बैंक के जमाकर्ताओं को काफी समय बाद पैसे वापस मिल गए थे। 2020 में YES बैंक की स्थिति खराब होने पर RBI ने उसे फिर से खड़ा करने की योजना बनाई। SBI को उसमें 49% तक हिस्सेदारी लेने का ऑफर दिया। SBI ने लगभग 48% हिस्सेदारी खरीदी और YES बैंक के जमाकर्ताओं के पैसे सुरक्षित रहे।