Edited By jyoti choudhary,Updated: 09 Oct, 2024 10:27 AM
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) आज सुबह 10 बजे अपनी मौद्रिक नीति का ऐलान करेगा। इसमें आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास और मौद्रिक नीति समिति के बाकी सदस्य क्या रुख अपनाते हैं, इस पर सभी की नजरें हैं। रिजर्व बैंक ने पिछली 9 क्रेडिट पॉलिसी में लगातार रेपो रेट...
बिजनेस डेस्कः भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने लगातार 10वीं बार ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया है। RBI ने ब्याज दरों को 6.5% पर जस का तस रखा है। यानी लोन महंगे नहीं होंगे और आपकी EMI भी नहीं बढ़ेगी। RBI ने आखिरी बार फरवरी 2023 में दरें 0.25% बढ़ाकर 6.5% की थीं।
7 अक्टूबर से चल रही मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) की मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज यानी बुधवार को दी। ये मीटिंग हर दो महीने में होती है। RBI ने इससे पहले अगस्त में हुई बैठक में ब्याज दरों में बदलाव नहीं किया था।
GDP ग्रोथ अनुमान
वहीं आरबीआई गवर्नर ने जानकारी देते हुए कहा कि आने वाली तिमाहियों में इकोनॉमी काफी अच्छी रह सकती है। इसलिए उन्होंने आने वाली तिमाहियों के अपने अनुमान में इजाफा कर दिया है। तीसरी तिमाही में देश की इकोनॉमी 7.4 फीसदी रह सकती है, जो पहले 7.2 फीसदी थी। वहीं चौथी तिमाही में देश की जीडीपी ग्रोथ 7.4 रहने का अनुमान लगाया गया है, जो पहले 7.3 रखा गया था। अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में देश की ग्रोथ का अनुमान 7.3 फीसदी रखा गया है जो पहले 7.2 फीसदी रखा गया था। वैसे आरबीआई ने मौजूदा वित्त वर्ष की ग्रोथ में कोई बदलाव ना करते हुए 7.2 फीसदी रखा हुआ है। वहीं दूसरी ओर आरबीआई ने दूसरी तिमाही में ग्रोथ अनुमान को 7.2 फीसदी से कम कर 7 फीसदी कर दिया है। भारत की पॉलिसी भी उसी तरीके से तय होगी।
2020 से रिजर्व बैंक ने 5 बार में 1.10% ब्याज दरें बढ़ाईं
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने कोरोना के दौरान (27 मार्च 2020 से 9 अक्टूबर 2020) दो बार ब्याज दरों में 0.40% की कटौती की। इसके बाद अगली 10 मीटिंग्स में सेंट्रल बैंक ने 5 बार ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, चार बार कोई बदलाव नहीं किया और एक बार अगस्त 2022 में 0.50% की कटौती की। कोविड से पहले 6 फरवरी 2020 को रेपो रेट 5.15% पर था।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.5% की कटौती की
इससे पहले 18 सितंबर को अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में 0.5% की कटौती की थी। चार साल बाद की गई इस कटौती के बाद ब्याज दरें 4.75% से 5.25% के बीच हो गईं। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी इकोनॉमी है, ऐसे में इसके सेंट्रल बैंक के हर बड़े फैसले का असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं पर पड़ता है।
क्यों थी कटौती की उम्मीदें
देश के लोगों को आरबीआई को रेपो रेट में कटौती की इसलिए थी, क्योंकि जुलाई और अगस्त के महीने में महंगाई के आंकड़ें 4 फीसदी से नीचे देखने को मिले थे। ऐसे में आम लोगों ने उम्मीदें लगाई हुई थी कि आरबीआई की ओर से अब तक जो जो स्टांस लिए गए हैं, उससे महंगाई के आंकड़ें कंट्रोल हुए हैं। ऐसे में आरबीआई इस बार ब्याज दरों में कटौती कर सकता है लेकिन ऐसा देखने को नहीं मिला है। जानकारों की मानें तो मौजूदा वित्त वर्ष में आरबीआई रेपो रेट में कोई कटौती नहीं करेगा।
इसका मतलब है कि अगले वित्त वर्ष तक आम लोगों को ब्याज दरों में कटौती का ऐलान कर सकता है। वहीं दूसरी ओर जिस तरह से जियो पॉलिटिकल टेंशन बढ़ा है। उसकी वजह से कच्चे तेल की कीमतों में तेजी देखने को मिली है। ऐसे में देश में महंगाई बढ़ सकती है। ऐसे में आरबीआई काफी सतर्कता बरत रहा है। वैसे आरबीआई गवर्नर ने इससे पहले की पॉलिसी मीट के बार कहा था कि जरूरी नहीं है कि जो फैसले दुनिया के दूसरे सेंट्रल बैंक ले रहे हैं, वो भी लें। भारत की जियोग्राफी से लेकर डेमोग्राफी बाकी देशों से अगल है।