महंगे मोबाइल टैरिफ पर राहत नहीं, ट्राई के सुझाव को टेलीकॉम कंपनियों ने ठुकराया

Edited By jyoti choudhary,Updated: 28 Aug, 2024 01:17 PM

no relief on expensive mobile tariffs telecom companies rejected

महंगे मोबाइल टैरिफ से परेशान ग्राहकों को टेलीकॉम कंपनियों से कोई राहत नहीं मिलने वाली है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के एक सुझाव पर टेलीकॉम कंपनियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बंडल पैक के बजाय केवल एसएमएस या कॉल के पैक की जरूरत नहीं...

बिजनेस डेस्कः महंगे मोबाइल टैरिफ से परेशान ग्राहकों को टेलीकॉम कंपनियों से कोई राहत नहीं मिलने वाली है। भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) के एक सुझाव पर टेलीकॉम कंपनियों ने स्पष्ट रूप से कहा है कि बंडल पैक के बजाय केवल एसएमएस या कॉल के पैक की जरूरत नहीं है। कंपनियों का कहना है कि मौजूदा टैरिफ प्लान ग्राहकों की विभिन्न जरूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त हैं।

टेलीकॉम कंपनियों की प्रतिक्रियाएं

ट्राई ने पिछले महीने एक कंसल्टेशन पेपर जारी कर टेलीकॉम कंपनियों को सुझाव दिया था कि वे ग्राहकों के लिए बिना डेटा वाला, सिर्फ वॉयस और एसएमएस वाला पैक लॉन्च करें। इस पर टेलीकॉम कंपनियों ने अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं....

एयरटेल

एयरटेल ने ट्राई के सुझाव पर कहा कि मौजूदा प्लान सिंपल और सीधी तरह से समझने योग्य हैं। उन्होंने कहा कि खासकर उम्रदराज ग्राहक ऑल-इनक्लूसिव बंडल्ड वॉयस, डेटा और एसएमएस पैक को पसंद करते हैं, जो जटिल नहीं होते और इनमें किसी भी तरह के हिडन चार्ज नहीं होते हैं। इन पैकों से ग्राहकों को अलग-अलग प्लान को मैनेज करने की जरूरत नहीं पड़ती।

जियो

जियो ने अपनी प्रतिक्रिया में एक सर्वे का हवाला दिया है, जिसमें बताया गया कि 91% मोबाइल यूजर्स मौजूदा टैरिफ को किफायती मानते हैं, जबकि 93% उपभोक्ताओं का कहना है कि बाजार में उनके पास पर्याप्त विकल्प मौजूद हैं।

वोडाफोन-आइडिया (वीआई)

वीआई ने तर्क दिया कि सिर्फ वॉयस या एसएमएस पैक लॉन्च करने से देश में डिजिटल डिवाइड बढ़ेगा। इस तरह के पैक लाने से नॉन-डेटा यूजर्स डिजिटल सेवाओं का अनुभव लेने के प्रति हतोत्साहित होंगे।

ट्राई का तर्क

ट्राई ने अपने कंसल्टेशन पेपर में कहा था कि वर्तमान में बाजार में उपलब्ध टैरिफ ऑफर मुख्य रूप से बंडल्ड हैं, जिनमें डेटा, वॉयस, एसएमएस और ओटीटी सर्विसेज शामिल होती हैं। ये बंडल ऑफर सभी सब्सक्राइबर्स की जरूरतों को पूरा नहीं करते क्योंकि सभी सब्सक्राइबर्स सारी सेवाओं का इस्तेमाल नहीं करते। इससे उन्हें उन सेवाओं के लिए भी भुगतान करना पड़ता है जिनका वे उपयोग नहीं करते हैं। 

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